ऑडिट टीम ने सुप्रीम कोर्ट को दी गई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अस्पतालों में बेड की क्षमता के बिना पर तय किए गए फॉर्म्यूले के मुताबिक दिल्ली को 289 मिट्रिक टन ऑक्सिजन की जरूरत थी, लेकिन दिल्ली सरकार ने 1,140 मिट्रिक टन ऑक्सिजन की खपत का दावा किया था जो जरूरत से चार करीब गुना है.
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नई दिल्लीः कोविड-19 वबा के दौरान मुल्क भर में ऑक्सिजन सिलिंडर की सप्लाई में बुहरान और उस बीच दिल्ली की केजरीवाल हुकूमत के जरिए जरूरत से ज्यादा ऑक्सिजन सिलिंडर की मांग के खुलासे के बाद सियासी बवाल मच गया है. दिल्ली की आप सरकार भाजपा के निशाने पर आ गई है. वहीं आप सरकार ने ऐसे किसी भी दावे और रिपोर्ट से इंकार किया है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के जरिए तश्कील की गई एक ऑक्सिजन ऑडिट समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोविड-19 वबा की दूसरी लहर के दौरान जब मुल्क भर में ऑक्सिजन के लिए मारा-मारी मची हुई थी, उस वक्त दिल्ली सरकार ने जरूरत से चार गुना ज्यादा ऑक्सिजन की मांग की थी. समिती ने सुप्रीम कोर्ट में जमा किए अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि दिल्ली सरकार के जरूरत से ज्यादा ऑक्सिजन देने की वजह से देश के 12 दीगर रियासतों में ऑक्सिजन का बुहरान पैदा हुआ.
It is unbelievable to see that Arvind Kejriwal & Delhi govt politicised oxygen supply when #COVID was at its peak. This is such petty politics. The data presented by Oxygen Audit Committee in the report is shocking: BJP leader Sambit Patra pic.twitter.com/2YunmAczzO
— ANI (@ANI) June 25, 2021
तो और खराब हो जाती हालत
ऑडिट टीम ने सुप्रीम कोर्ट को दी गई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अस्पतालों में बेड की क्षमता के बिना पर तय किए गए फॉर्म्यूले के मुताबिक दिल्ली को 289 मिट्रिक टन ऑक्सिजन की जरूरत थी, लेकिन दिल्ली सरकार ने 1,140 मिट्रिक टन ऑक्सिजन की खपत का दावा किया था जो जरूरत से चार करीब गुना है.पेट्रोलियम एंड ऑक्सिजन सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन ने सुप्रीम कोर्ट की गठित टीम को बताया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के पास जरूरत से ज्यादा ऑक्सिजन था जिसने दूसरे राज्यों को लिक्विड मेडिकल ऑक्सिजन की सप्लाई पर असर पड़ा. उसने कहा कि अगर दिल्ली की मांग पूरी की जाती रही होती, तो कौमी सतह पर ऑक्सिजन का संकट पैदा हो जाता.
दिल्ली सरकार का आज पर्दाफाश हो गया हैः भाजपा
सुप्रीम कोर्ट के जरिए तश्कील की गई एक ऑक्सिजन ऑडिट समिति की रिपोर्ट आने के बाद भजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने केजरीवाल सरकार पर निशाना साधा है. पात्रा ने कहा है कि ऑक्सिजन को लेकर जिस तरह की राजनीति अरविंद केजरीवाल और दिल्ली सरकार ने की, आज उसका पर्दाफाश हुआ है. दिल्ली में ऑक्सिजन ऑडिट पैनल की रिपोर्ट में जो तथ्य सामने आए हैं, वो चैंकाने वाले हैं. रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली सरकार के जरिए ऑक्सीजन की जरूरत को 4 गुना बढ़ाकर बताया गया.
बीजेपी अपने हेडक्वार्टर में बैठकर रिपोर्ट बनाती हैः आप
वहीं, दूसरी जानिब दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इन इल्जामों पर जवाब देते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने ऑक्सीजन मामले की सुनवाई करते हुए एक ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी बनाई थी. हमने इस ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी के कई सदस्यों से बात की. उनका कहना है कि उन्होंने कोई रिपोर्ट साइन ही नहीं की या मंजूर ही नहीं की. जब ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी के सदस्यों ने कोई रिपोर्ट साइन ही नहीं की या अप्रूव ही नहीं की तो यह रिपोर्ट है कहां? बीजेपी अपने हेड क्वार्टर में बैठकर मनगढ़ंत रिपोर्ट बनाती है और कहती है कि यह ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी की रिपोर्ट है. बीजेपी के जो नेता सुबह से चैनल पर बैठकर चिल्ला रहे हैं, जरा देखें कि रिपोर्ट कहां है?
इनकी कयादत में बनी थी जांच कमेटी
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में ऑक्सीजन की खपत को लेकर एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया की अध्यक्षता में ऑडिट के लिए एक उप कमेटी बनाई गई थी. ऑक्सीजन ऑडिट उप-समूह में दिल्ली सरकार के प्रधान (गृह) सचिव भूपिंदर एस भल्ला, मैक्स अस्पताल के डॉ संदीप बुद्धिराजा, केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय में संयुक्त सचिव सुबोध यादव और विस्फोटक नियंत्रक संजय के सिंह भी शामिल थे.
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि दूसरी लहर जब पीक पर थी तब ऑक्सिजन बुहरान पैदा होने की वजह से दिल्ली की सरकार ने इसके लिए मरकजी हुकूमत को जिम्मेदार ठहराते हुए काफी हाय तौबा मयाया था. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए 5 मई को दिल्ली की आप सरकार को फटकार लगाई थी. साथ ही, उसने मरकजी सरकार को हुक्म दिया था कि दिल्ली को 700 मिट्रिक टन ऑक्सिजन की सप्लाई की जाए. तब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि फॉर्म्युले के मुताबिक दिल्ली को 414 मीट्रिक टन ऑक्सिजन की ही जरूरत है.
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