Delhi University के12 कॉलेजों के शिक्षक हड़ताल पर उतरे, जानें क्या है पूरा मामला
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Delhi University के12 कॉलेजों के शिक्षक हड़ताल पर उतरे, जानें क्या है पूरा मामला

Delhi University: दिल्ली यूनिवर्सिटी के सैकड़ों टीचर गुरुवार (22 फरवरी) को हड़ताल पर रहे. दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज में इकट्ठा हुए टीचर्स ने कहा कि उन्होंने अपने आंदोलन को तेज करने और दिल्ली गवर्नमेंट के 'उच्च शिक्षा विरोधी' मॉडल को जनता के सामने उजागर करने का कसम खाई है.

 Delhi University के12 कॉलेजों के शिक्षक हड़ताल पर उतरे, जानें क्या है पूरा मामला

Delhi University: दिल्ली यूनिवर्सिटी के सैकड़ों टीचर गुरुवार (22 फरवरी) को हड़ताल पर रहे. शिक्षकों का यह हड़ताल दिल्ली सरकार से पूरी तरह फंडेड डीयू के सभी 12 कॉलेजों में रही. दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (DUTA) के अध्यक्ष प्रोफेसर अजय कुमार भागी का कहना है कि डीयू ( Delhi University ) के टीचर्स दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी आतिशी  (Atishi Marlena) के लेटर्स की निंदा और उन्हें खारिज करते हैं.

डूटा ने बताया कि कई कॉलेज के शिक्षकों को बीते कई महीनों से सैलरी नहीं मिली है. बिना वेतन के काम कर रहे 12 कॉलेजों केस टीचर्स और कर्मचारियों को पूरी रकम जारी करने की मांग सरकार से की गई थी, लेकिन दिल्ली गवर्नमेंट ने अभी तक इसको लेकर कोई उचित कार्यवाही नहीं की है. इसके साथ ही कॉलेजों को ग्रांट भी जारी नहीं किया.

दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज ( Deen Dayal Upadhyay College ) में इकट्ठा हुए टीचर्स ने कहा कि उन्होंने अपने आंदोलन को तेज करने और दिल्ली गवर्नमेंट के 'उच्च शिक्षा विरोधी' मॉडल को जनता के सामने उजागर करने का कसम खाई है. मांगें पूरी नहीं होने पर मार्च महीने से दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में इसी तरह के विरोध-प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू करने का संकल्प लिया गया है.

डूटा अध्यक्ष प्रोफेसर भागी ने टीचर्स को बताया कि दिल्ली की एजुकेशन मिनिस्टर आतिशी ने दो लेटर लिखे थे, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि दिल्ली गवर्नमेंट से फंडेड 12 कॉलेजों में गैरकानूनी तरीके से 939 टीचिंग पोस्ट क्रिएट किए गए हैं. इन 12 कॉलेजों में स्थायी रूप से काम कर रहे टीचर्स के वेतन पर गवर्नमेंट का करोड़ों खर्च किया गया है.

प्रोफेसर भागी ने एजुकेशन मिनिस्टर ( Education Minister Delhi ) के दावे पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इन 12 कॉलेजों में हमारे टीचर दशकों से तदर्थ आधार पर अपनी सर्विस दे रहे हैं. इन्हें सैलरी मिल रही थी, लेकिन पिछले कई सालों से दिल्ली गवर्नमेंट वक्त पर ग्रांट जारी नहीं कर रही है. फंड में कटौती और इन कॉलेजों को आर्थिक रूप से बीमार घोषित करने के साथ ये लेटर कॉलेज के मुलाजिमीन और स्टूडेंट्स के प्रति दिल्ली गवर्नमेंट की बांह मरोड़ने की रणनीति के अलावा कुछ नहीं है. इसका मकसद इन कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज को डॉ. भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी और कौशल यूनिवर्सिटी जैसे स्टेट  यूनिवर्सिटीज में स्थानांतरित करने के लिए सहमत करना है.

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