नई दिल्ली: फरवरी का महीना चल रहा है, जिसे नौजवान पीढ़ी इश्क़ का महीना भी कहती है. अगले हफ्ते से चॉकलेट डे, रोज़ डे, प्रपोज़ डे की शुरुआत हो जायेगी और फिर आएगा वेलेंटाइन डे. जिसका इंतज़ार प्रेमी जोड़ों को बेसब्री से रहता है लेकिन इस वेलेंटाइन पर ज़रा संभलकर रहना, क्योंकि दिललगी और आशिकी के चक्कर में आपका अकाउंट खाली हो सकता है.


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जी हां, अगर आपके पास वेलेंटाइन डे के नाम पर किसी भी कंपनी का कोई ऑफर आ रहा है तो होशियार हो जाइए. आपको मुफ्त में कुछ नहीं मिलने वाला है, बल्कि नए-नए ऑफर और तोहफों का लालच देकर आपका बैंक अकाउंट खाली किया जा सकता है.


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इस तरह बनाते हैं शिकार
साइबर अपराधी आपके मोबाइल पर एक मैसेज भेजेंगे. पहली नज़र में आप इसकी सच्चाई पर बिना किसी शक के यकीन कर लेंगे. आपको भेजे गए मैसेज में वेलेंटाइन डे के मौके पर मोबाइल और जीतने के अलावा अन्य ऑफर दिए जाएंगे. मैसेज में ये भी लिखा होता है कि ऐसा ही प्राइज मैसेज भेजने वाले के दोस्त ने भी जीता है. इसीलिए आपके पास भी किसी को तोहफा देने के लिए अच्छा मौका है. जैसे ही आप इस मैसेज पर यकीन करके इसे खोलते हैं और अपनी गोपनीय जानकारियां साझा करते है, तो वैसे ही आप ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार बन जाते हैं.


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ऐसे ही साइबर फ्रॉड में हाल ही में ताज होटल के नाम का भी इस्तेमाल किया गया था. इस मैसेज में लोगों को वेलेंटाइन डे के मौके पर 7 दिनों तक एक बड़े होटल में मुफ्त स्टे दिए जाने की बात कही जा रही. जबकि एक दूसरे मैसेज में फ्री मोबाइल फोन दिए जाने का झांसा दिया गया है. होटल ताज ने तो बाकायदा अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से ऐसे तमाम फ्रॉड की चेतावनी तक दे दी है.


साइबर अपराधी के रडार पर आप तो नहीं
दरअसल फ्रॉड करने से पहले साइबर अपराधी ये पता लगाते हैं कि वो कौन लोग हैं जो सही से मोबाइल का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. इनका निशाना ऐसे लोग होते हैं जो मोबाइल, ऐप्लिकेशंस से ज़्यादा वाकिफ़ न हों. इसके अलावा वो सीनियर सिटीजन जो रिटायर होकर पेंशन लेते हैं और जिनके बैंक अकाउंट में पैसा हो, उन्हें अपना शिकार बनाया जाता है. अभी तक की जांच में पता चला है कि पश्चिम बंगाल, गुड़गांव, मथुरा, राजस्थान के अलवर, भरतपुर से ऑनलाइन फ्रॉड का ये पूरा रैकेट चलता है.


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कहीं आपका डेटा बेचा तो नहीं जा रहा
साइबर सेल अब इस पूरे नेटवर्क की तह तक जाने की कोशिश कर रही है. इस बात की भी जांच की जा रही है कि क्या मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों के लोग तो डेटा से जुड़ी जानकारी इन  अपराधियों को मुहैया नहीं करवा रहे हैं.


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