Imran Khan Political Career and Cricket Career: ऐसा कहा जाता है कि इमरान खान अपनी सियासी पार्टी को 1992 वाली क्रिकेट टीम की तरह नहीं तराश पाए. कहा जाता है कि अगर "सियासी टीम" जावेद मियां दाद या फिर वसीम अकरम जैसा कोई "सियासी प्लेयर" होता तो शायद उनको आज ये दिन नहीं देखना पड़ता. समय-समय पर मंत्रियों के मंत्रालयों में होने वाले बदलाव ना तजुर्बेकारी और ना अहली का ही मिसाल हैं.
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Imran Captian To PM: इमरान खान तो चले गए लेकिन उनके अलग तरह के और बहुत बेहतरीन दौर को दुनिया कभी नहीं भुला सकती. इमरान खान सियासत की एक लंबी इनिंग खेल चुके हैं लेकिन उनका नाम क्रिकेट से अलग नहीं हो सका और ना ही हो सकता. 21 बरस क्रिकेट खेलने वाले इमरान 26 वर्षों से सियासत में हैं लेकिन उनका यह 26 बरस का सियासी सफर अब भी उनके पुराने तजुर्बे के साये में है, जो उन्होंने बतौर क्रिकेटर 1971 से 1992 के दरमियान खेला. इमरान खान की सियासी शख्सियत क्रिकेट के नारों से भरी पड़ी है. कभी उन्हें, "कप्तान", "क्लीन बोल्ड", "सिक्सर", "हिट विकेट" और कई बार उन्हें ताकतवर बताने के लिए "अंपायर की उंगली" से भी मुखातिब किया जाता रहा है.
टीम ने इमरान को छोड़ दिया था पीछे
साल 1992 में इमरान खान पाकिस्तान के हीरो थे. क्योंकि उन्होंने इसी साल अपने देश को पहला आईसीसी वर्ल्डकप जीताकर दिया था. यहां यह भी बता दें कि इमरान खान भले ही कौम के हीरो थे लेकिन वर्ल्डकप में बतौर खिलाड़ी उनका किरदार बहुत मामूली था. 8 मैचों में उन्होंने सिर्फ 7 विकेट हासिल किए और 185 रन बनाए थे. इसमें कोई शक नहीं कि फाइनल और सेमीफाइनल मुकाबले में इमरान खान ने बेहतरीन किरदार अदा किया था. लेकिन बाकी मैचों में उनकी टीम ने ही उन्हें पीछे छोड़ दिया था. बतौर खिलाड़ी इमरान खान लोगों को प्रभावित भले ही ना कर पाए हों लेकिन एक लीडर के तौर पर उन्होंने जो किया वो बिल्कुल भी गैरमामूली नहीं था. दरअसल इमरान खान ने अपनी ना तजुर्बेकार टीम को इंटरनेशनल स्तर के बल्लेबाजों में तब्दील कर दिया था. जावेद मियांदाद टूर्नामेंट में दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी थे जबकि वसीम अकरम सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज थे.
1 मार्च 1992 की एडिलेड बारिश
इमरान खान का पाकिस्तानी "वजीरे आजम" बनने में उनके क्रिकेट का किरदार बहुत अहम है. क्योंकि क्रिकेट ने ही इमरान खान को पाकिस्तानी कौम का "हीरो" बनाया था. कहा तो यह भी जाता है कि अगर 1 मार्च 1992 को एडिलेड में बारिश ना होती 18 अगस्त 2018 को इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नहीं होते. क्योंकि इस मुकाबले में इंग्लैंड ने पाकिस्तान को महज 74 रन पर ढेर कर दिया था और एक विकेट के नुकसान पर 24 रन बनाकर जीत की दहलीज पर बैठी थी लेकिन बारिश ने इमरान खान को पीएम बनाना था. इसलिए शायद वो रुकी नहीं. नतीजा यह हुआ कि मैच आगे नहीं बढ़ा और दोनों टीमों को 1-1 रन दिया गया, जो पाकिस्तान को आगे चलकर बहुत काम आया और उसी अंक की बदौलत वो सेमीफाइनल खेली और फिर फाइनल जीता.
सियासत में आए तो खूब उड़ा इमरान का मजाक
बतौर क्रिकेटर इमरान खान की जिंदगी में उस बारिश का बहुत अहम किरदार है इस बात से शायद कोई इनकार नहीं कर पाएगा. लेकिन बतौर सियासतदान उनकी किस्मत की देवी उस तरह मेहरबान ना हो सकी बल्कि यह भी कहें कि एक लंबे अरसे तक काले बादल छाये रहे. इमरान खान ने जब सियासत का आगाज किया था तो उस समय अपोज़ीशन पार्टियां उनका मजाक उड़ाया करती थीं. जोकि काफी हद तक अपोज़ीशन के लिए जायज़ भी था. क्योंकि उन्होंने अपनी उम्मीदों से बहुत वोट हासिल हुए. 1997 में इमरान ने दो सीटों से चुनाव लड़ा था लेकिन कामयाबी ना मिल सकी. इसके बाद अगली बार 2002 में वो पहली बार चुनाव जीते थे.
सियासी टीम में नहीं था कोई जावेद मियां दाद और वसीम अकरम जैसे प्लेयर
इमरान खान पर सियासत के दौरान एक और आरोप भी लगता रहा कि चलो मान लें, इमरान खान व्यक्तिगत रूप से ईमानदार हैं लेकिन उनके तहत काम करने वाले उनके साथियों के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता है. इमरान खान के विरोधियों और आलोचकों का कहना था कि यह मानते हुए भी कि प्रधानमंत्री के व्यक्तिगत गुण प्रभावशाली हैं, लेकिन उनके मंत्री और सहयोगियों में कोई खूबी नहीं है. ऐसा कहा जाता है कि इमरान खान अपनी सियासी पार्टी को 1992 वाली क्रिकेट टीम की तरह नहीं तराश पाए. कहा जाता है कि अगर "सियासी टीम" जावेद मियां दाद या फिर वसीम अकरम जैसा कोई "सियासी प्लेयर" होता तो शायद उनको आज ये दिन नहीं देखना पड़ता. समय-समय पर मंत्रियों के मंत्रालयों में होने वाले बदलाव ना तजुर्बेकारी और ना अहली का ही मिसाल हैं.
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