India-Saudi Arabia Meeting: शनिवार को भारत और सऊदी अरब की मीटिंग हुई. इस मीटिंग का एजेंडा पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर में बाइलेट्रल इनवेस्टमेंट था. आइये जानते हैं पूरी डिटेल
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India-Saudi Arabia Meeting: भारत और सऊदी अरब ने रविवार को पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर में रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल प्लांट्स, नई और रीनिवेबल एनर्जी और बिजली सहित अलग-अलग सेक्टर्स में बाइलेट्रल इनवेस्टमेंट के अलग-अलग मौकों पर चर्चा की है.
उन्होंने निवेश पर भारत-सऊदी अरब उच्च स्तरीय टास्क फोर्स की पहली बैठक में पारस्परिक रूप से लाभकारी तरीके से दोतरफा निवेश को बढ़ावा देने के उपायों की समीक्षा की, जिसके सह-अध्यक्षता प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा और सऊदी ऊर्जा मंत्री प्रिंस अब्दुलअजीज बिन सलमान बिन अब्दुलअजीज अल सऊद हैं. यह मीटिंग वर्चुअली की गई.
प्रधानमंत्री ऑफिस के जरिए जारी एक बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने टास्क फोर्स की तकनीकी टीमों के बीच हुई चर्चा की समीक्षा की है. बयान में कहा गया कि पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर्स के अलग-अलग एरिया में द्विपक्षीय इनवेस्टमेंट के अलग-अलग मौकों पर रचनात्मक चर्चा हुई है. जिसमें रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल प्लांट्स, नई और रीनिवेबल एनर्जी, बिजली, टेलेकॉम, इनोवेशन आदि शामिल हैं.
मिश्रा ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान किए गए 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के सऊदी निवेश को सक्रिय समर्थन प्रदान करने की भारत सरकार की दृढ़ मंशा को दोहराया. बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने चर्चा को आगे बढ़ाने और विशिष्ट निवेशों पर सहमति बनाने के लिए दोनों पक्षों की तकनीकी टीमों के बीच नियमित परामर्श पर सहमति व्यक्त की.
इसमें कहा गया है कि पेट्रोलियम सचिव के नेतृत्व में एक अधिकार प्राप्त डेलिगेशन तेल और गैस सेक्टर में पारस्परिक रूप से लाभकारी निवेश पर अनुवर्ती चर्चा के लिए सऊदी अरब का दौरा करेगा. बयान में कहा गया कि सऊदी पक्ष को भारत में सॉवरेन वेल्थ फंड (पीआईएफ) का ऑफिस स्थापित करने के लिए भी आमंत्रित किया गया है.
प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव ने हाई लेवल टास्क फोर्स की अगली दौर की बैठक के लिए सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री को भारत आमंत्रित किया है. बता दें, हाई लेवल टास्ट फोर्स, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और क्राउन प्रिंस एवं प्रधानमंत्री महामहिम मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुलअजीज अल सऊद के जरिए सितंबर 2023 में उनकी भारत की राजकीय यात्रा के दौरान लिए गए फैसले के बाद बनाई गई थी. इसका मकसद बाइलेट्रल इनवेस्टमेंट को आसान बनाना है.
इसमें दोनों पक्षों के सीनियर अधिकारी शामिल हैं, जिनमें नीति आयोग के सीईओ, भारत के आर्थिक मामलों, कॉमर्स, विदेश मंत्रालय, डीपीआईआईटी, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, विद्युत सचिव शामिल हैं.