करगिल वॉर के सूत्रधार और पाक के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज़ मुशर्रफ की संपत्ति को योगी सरकार करने जा रही नीलाम
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करगिल वॉर के सूत्रधार और पाक के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज़ मुशर्रफ की संपत्ति को योगी सरकार करने जा रही नीलाम

Baghpat News: उत्तर प्रदेश के बागपत में स्थित में पाकिस्तान के पूर्व प्रेसिडेंट जनरल परवेज़ मुशर्रफ की संपत्ति की निलामी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. 13 बीघा से ज्यादा इस प्रोपर्टी के मालिक का नाम 5 सितंबर के बाद सार्वजनिक किया जाएगा. परवेज मुशर्रफ के परिवार आजादी मिलने तक बागपत के कोताना में ही रहते थे. लेकिन हिन्दुस्तान-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद उनके परिवार पाकिस्तान चले गए. 

करगिल वॉर के सूत्रधार और पाक के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज़ मुशर्रफ की संपत्ति को योगी सरकार करने जा रही नीलाम

UP News: पाकिस्तान के पूर्व सेनाध्यक्ष और राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ( Pervez Musharraf ) के परिवार के नाम दर्ज शत्रु संपत्ति को भारत सरकार निलाम कर रही है. दरअसल, उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में पाकिस्तान के पूर्व प्रेसिडेंट और उनके परिवार के नाम से जिले के कोताना गांव में 13 बीघा जमीन है, जिसे भारत सरकार आदेश पर स्थानीय प्रशासन ने निलाम करने के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू कर दी है. रिपोर्ट के मुताबिक, पांच सितंबर तक प्रोपर्टी को नीलाम कर उसको खरीदने वाले मालिक के नाम कर दिया जायेगा.

ग्रामीणों के मुताबिक, पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति का परिवार बागपत के कोताना गांव में ही रहता था, लेकिन हिंदुस्तान और पाकिस्तान बटवारे के वक्त उनका पूरा परिवार हवेली और जमीन को छड़कर पाकिस्तान चले गए. ऐसे में उनकी ये प्रोपर्टी कानून के मुताबिक शत्रु संपत्ति में दर्ज हो गई.

13 बीघा जमीन का कौन होगा मालिक ? 
अब बागपत प्रशासन ने शत्रु संपत्ति की नीलामी प्रक्रिया शुरू कर दी है, जोकि 5 सितंबर तक फाइनल हो जाएगा. वहीं, गांव वालों का कहना है की जिस प्रोपर्टी की नीलामी की प्रिक्रिया चल रही है. वह जनरल परवेज मुशर्रफ की नहीं बल्कि उनके भाई जावेद मुशर्रफ की 13 बीघा उपजाऊ जमीन हैं.

परवेज के चचेरे भाई के नाम पर है हवेली
बताया जाता है की परवेज मुशर्रफ के पिता मुशर्रफुद्दीन और मां बेगम जरीन कोताना गांव की रहने वालीं थीं. लेकिन वे साल 1943 में दिल्ली जाकर रहने लगे थे, जहां परवेज मुशर्रफ व उसके भाई डॉ. जावेद मुशर्रफ का जन्म हुआ था. हालांकि देश की आजादी के बाद साल 1947 में हिन्दुस्तान-पाकिस्तान बंटवारे के वक्त पाकिस्तान में जाकर बस गए.

दिल्ली के अलावा उनके परिवार की हवेली व खेती की जमीन पुश्तैनी गांव कोताना में ही थी, जिसमें से परवेज मुशर्रफ की जमीन बेच दी गई थी. लेकिन उनके भाई डॉ. जावेद मुशर्रफ व परिवार के सदस्यों की 13 बीघा से ज्यादा खेती की जमीनें रह गई थीं, जबकि कोताना की हवेली उनके चचेरे भाई हुमायूं के नाम दर्ज हो गई.

परवेज मुशर्रफ के भाई डॉ. जावेद मुशर्रफ व उनके परिवार के अन्य मेंबरों की प्रोपर्टी में से आधी जमीन की नीलामी की प्रक्रिया 5 सितंबर तक पूरी हो जाएगी और रिकॉर्ड में नया नाम दर्ज हो जाएगा. इस तरह से पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के भाई व परिवार का बागपत से हमेशा के लिए प्रोपर्टी और नाम खत्म हो जाएगा.
 
क्या होता है शत्रु संपत्ति? ( What Is Enemy Property )
शत्रु संपत्ति यानी दुश्मनों की संपत्ति जैसा की इसके नाम में ही छुपा है. यहां दुश्मनों की प्रोपर्टी का सीधा मतलब किसी व्यक्ति विशेष के साथ दुश्मनी नहीं बल्कि मुल्क का है.  मसलन जब साल 1947 में पाकिस्तान भारत से अलग होकर एक अलग देश बना तो उस वक्त जो लोग भारत की बजाय पाकिस्तान जाना पसंद किया वो अपने पीछे बहुत कुछ इंडिया में छोड़ गए. जैसे- प्रोपर्टी, हवेलियां-कोठियां समेत और भी बहुत कुछ. ऐसे में इन संपत्तियों पर सरकार का कब्ज़ा हो गया.

दरअसल, 1965 और 1971 में भारत का पाकिस्तान से जंग हुआ था. इसके मद्देनजर भारत से लोगों का भारत से पाकिस्तान प्रवास हुआ था. ऐसे में भारत सरकार ने पाकिस्तानी राष्ट्रीयता लेने वालों की संपत्तियों और कंपनियों को अपने कब्जे में लेने के लिए साल 1968 में देश की संसद में शत्रु संपत्ति अधिनियम पारित किया. इस अधिनियम के तहत भारत सरकार ऐसी तमाम संपत्तियों को अपने कब्ज में ले लिया जो देश छोड़कर पड़ोसी मुल्क चले गए थे.

सरकार को एक लाख करोड़ की होगी कमाई!
यहां बताते चलें कि केंद्र सरकार ने साल 2020 में देश में ही शत्रु संपत्तियां बेचने की तैयारी शुरू कर दी थी. कुल 9,400 शत्रु संपत्तियां बेचने के लिए समितियां बनाई गई थीं. एक अनुमान के मुताबिक इन संपत्तियों के बिकने के बाद सरकार को एक लाख करोड़ रुपए की कमाई होगी.

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