IPS अधिकारी को धोनी की ईमानदारी पर शक करना पड़ा भारी; हाई कोर्ट ने सुनाई सजा
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IPS अधिकारी को धोनी की ईमानदारी पर शक करना पड़ा भारी; हाई कोर्ट ने सुनाई सजा

मद्रास हाई कोर्ट ने अदालत की अवमानना के मामले में एक आईपीएस ऑफ़िसर को 15 दिनों की जेल की सज़ा सुनाई है.समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने किया था केस दायर. ये पूरा मामला 2014 का है.

IPS अधिकारी को धोनी की ईमानदारी पर शक करना पड़ा भारी; हाई कोर्ट ने सुनाई सजा

मद्रास हाई कोर्ट ने अदालत की अवमानना के मामले में एक आईपीएस ऑफ़िसर जी संपत कुमार को 15 दिनों की जेल की सज़ा सुनाई. साल 2014 के एक मामले में भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कैप्टन महेंद्र सिंह धोनी ने जी संपत कुमार के ख़िलाफ़ ये केस दायर किया था. दरअसल धोनी ने जी संपत कुमार पर ये केस सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ते खिलाफ, अपमानजनक टिप्पणी के लिए किया था. ये पूरा मामला साल 2014 का है. जब इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) बेटिंग स्कैम में धौनी का नाम खींचे जाने पर महेन्द्र सिंह धोनी ने एक मानहानि का एक मुक़दमा दायर किया था. धोनी ने इस मानहानि के लिए मुआवजे के तौर पर 100 करोड़ रुपये की मांग की थी.  इसी मामले में धोनी ने अपनी काउंटर एफिडेविट में न्यायपालिक के ख़िलाफ़ की गई टिप्पणियों के लिए जी संपत कुमार को भी सज़ा दिए जाने की मांग की थी.

क्या था पूरा मामला
पांच बार आईपीएल चैंपियन कैप्टन धोनी ने 2014 में तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक(IGP) संपत कुमार को मैच फिक्सिंग और स्पॉट फिक्सिंग में धोनी से जुड़े मामले पर कोई भी बयान देने से रोक लगाने के लिए दीवानी मुकदमा दायर किया था. धोनी ने अदालत से हर्जाने के तौर पर 100 करोड़ रुपये का भुगतान की मांग भी की थी.  बाद में अदालत ने 18 मार्च 2014 को अंतरिम आदेश पारित करके जी संपत कुमार पर धोनी को लेकर किसी भी तरह का बयान देने से रोक लगा दी थी.

कितने दिन की मिली है सज़ा
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कैप्टन महेंद्र सिंह धोनी ने जी संपत कुमार के ख़िलाफ़ ये केस दायर किया था.
मद्रास हाई कोर्ट ने अदालत की अवमानना के मामले में एक आईपीएस ऑफ़िसर को 15 दिनों की जेल की सज़ा सुनाई है. हालांकि जस्टिस एसएस संदुर और जस्टिस सुंदर मोहन की खंडपीठ ने जी संपत कुमार की सज़ा को 30 दिनों के लिए स्थागित रखा है ताकि उन्हें अपील के लिए समय मिल सके.

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