'इस्लाम किसी भी बच्चे को पालने की इजाजत देता है, फतवे के ताल्लुक शिकायत साजिश है'
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'इस्लाम किसी भी बच्चे को पालने की इजाजत देता है, फतवे के ताल्लुक शिकायत साजिश है'

दारुल उलूम देवबंद से इस मामले में राब्ता किया गया लेकिन इदारे ने मामले में ब्यान देने से मना कर दिया है.

फाइल फोटो

लखनऊ/सैय्यद उवैस अली: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने दारुल उलूम देवबंद की वेबसाइट पर गैर कानूनी फतवों के ताल्लुक से यूपी सरकार को निर्देश दिया है कि वह दारुल उलूम देवबंद की वेबसाइट की जांच करे. आयोग ने कहा है की जब तक वेबसाइट से गैर कानूनी सामग्री हटा नहीं ली जाती तब तक इसकी पहुंच को प्रतिबंधित कर दिया जाए. इस मामले पर देवबंद के एक मौलाना का बयान आया है. 

देवबंदी मौलाना मुफ़्ती असद क़ासमी का कहना है कि 'जब भी कोई शख्स दारूल उलूम देवबंद से फतवा मांगता है तो उसे कुरान और हदीस की रोशनी में दिया जता है. अगर कोई इस मामले में मदाखलत करता है तो वह इस्लाम और शरियत में मदाखलत करता है'. उन्होंने कहा कि 'फतवे के ताल्लुक से जिसने शिकायत की है उसने इस्लाम को बदनाम करने की कोशिश की है'.

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एक दूसरे मौलाना मुफ़्ती अरशद फारुकी का कहना है कि 'इस्लाम किसी भी बच्चे को पालने की पूरी इजाजत देता है, और कहता है कि इसपर उसको सवाब मिलेगा. लेकिन मुंह बोले बच्चे को इस्लाम हकीकी औलाद कहने का हुक्म नहीं देता. कोई इंसान दूसरे के बच्चे को अपना बच्चा नहीं मान सकता.' उन्होंने कहा कि कोई भी शख्स दूसरे के बच्चे को 'कफालत कर सकता है, मदद कर सकता है, परवरिश कर सकता है, इसकी इजाजत है.' उन्होंने कहा कि 'इस मामले में किसी भी वेबसाइट को बंद कर देना ठीक नहीं. अगर जांच का मुतालबा किया गया है तो जांच की जाए.'

दारुल उलूम देवबंद से इस मामले में राब्ता किया गया लेकिन इदारे ने मामले में ब्यान देने से मना कर दिया है.

आरोप है कि दारुल उलूम देवबंद के फतवे के मुताबिक बच्चा गोद लेना गैरकानूनी नहीं है, लेकिन केवल बच्चे को गोद लेने से वास्तविक बच्चे का कानून उस पर लागू नहीं होगा. उसके परिपक्व होने के बाद दत्तक बच्चे को संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं मिलेगा और बच्चा किसी भी मामले में वारिस नहीं होगा. आयोग ने इसी पर संज्ञान लिया है. 

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने एक शिकायत के बाद संज्ञान लिया है. उसने पाया कि फतवे देश के कानून के खिलाफ हैं. इस शिकायत पर संज्ञान लेते हुए इस मामले की जांच के बाद राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग ने इन फतवों को गैरकानूनी माना.

आयोग ने फतवों को लेकर यूपी सरकार से दारुल उलूम देवबंद की वेबसाइट की जांच करने लिए कहा है. आयोग ने कहा है की जब तक वेबसाइट से इस तरह की सामग्री हटा ली नही जाती जब तक इसकी पहुंच को प्रतिबंधित कर दिया जाए.

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