Holi 2023: जयपुर के कई मुस्लिम परिवार होली आने से पहले ही इस पर्व को गुलाल गोटा के ज़रिये रंगीन बनाने में लग जाते है. अलग-अलग रंगों और ख़ुशबू को समेटे हुए ये गुलाल गोटे भारत की गंगा जमुनी तहज़ीब को दर्शाते हैं.
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Holi: रंगों के त्योहार होली का नाम आते ही आंखों के सामने रंग बिरंगे कलर छा जाते हैं. कई त्योहारों की तरह होली के पर्व को उत्साह से मनाने के लिए कई परिवार ऐसे हैं जो आजतक अपने पूर्वजों का कारोबार ही संभाले हुए हैं. अपने पूर्वजों की सालों पुरानी रिवायत पर आज भी अमल कर रहे हैं. वह ख़ुशियों के रंग होली के ज़रिए से बिखेर रहे हैं. यूं तो हर जगह ही ख़ास तरीक़े से होली मनाई जाती हैं, लेकिन जयपुर के गुलाल गोटे की होली पूरे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मशहूर है.
मुस्लिम परिवार बनाते हैं गुलाल गोटा
जयपुर में ऐसे कई मुस्लिम परिवार हैं, जो अपनी बरसों पुरानी परंपरा के तहत गुलाल गोटे के काम से जुड़े हुए हैं. मुस्लिम परिवार होली के रंगों में मिठास घोल रहे हैं. जयपुर के मनिहारों के रास्ते में आज भी कई ऐसे मुस्लिम परिवार हैं जो गुलाल गोटे बनाने का काम बड़े ही शौक़ से करते हैं. गुलाल गोटा बनाने वाले कारीगर शादाब अहमद ने बताया कि तक़रीबन 400 सालों से उनकी यह 9 वीं पीढ़ी है जो गुलाल गोटे का कारोबार कर रही है. यह रिवायत राजा महाराजाओं के वक़्त से ही चली आ रही है जो कि आज भी क़ायम है.
गंगा-जमुनी तहज़ीब की मिसाल
शादाब ने बताया कि बरसों पहले राजा महाराजाओं के दौर में जब कोई दूसरे देश का राजा जयपुर आता था तो उसका गुलाल गोटे से ही स्वागत किया जाता था. उन्होंने बताया हम मुस्लिम मनिहार है लेकिन हिंदू मुस्लिम का फ़र्क़ भुलाते हुए होली के त्योहार को सब एक साथ मिलकर मनाते हैं .गुलाल गोटे का कारोबार करने वाले मक़सूद अहमद ने बताया यह काम बीते कई सालों से करते आ रहे हैं. होली के त्योहार को देखते हुए गुलाल गोटे की बिक्री में इज़ाफ़ा देखने को मिल रहा है. उन्होंने बताया कि हिंदू- मुस्लिम एक साथ होली का त्योहार बनाते हैं. यहीं हमारे देश की पहचान है. यहां एक दूसरे के धर्म का सम्मान किया जाता है और सब लोग मिलकर एक दूसरे की ख़ुशियों में शामिल होते है.
Report: Anoop Sharma
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