भद्रवाह के एडीसी दिल मीर चौधरी की मानें तो पहाड़ी इलाकों में रास्तों के मुश्किल होने की वजह से सड़क हादसे पेश आते हैं. इसके अलावा नशा कर के गाड़ी चलाने की वजह से भी सड़क हादसों में इजाफा देखने को मिला है.
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वादिये चिनाब हो या वादिये कश्मीर जितनी हसीन हैं उतनी ही ख़तरनाक भी हैं. खतरनाक इसलिए क्योंकि ज़रा सी लापरवाही आपकी जान ले सकती है और इसके दो एक नहीं बल्कि हर साल हजारों मिसाल हादसों के तौर पर देखने को मिलती हैं.25 मार्च को पुंछ जिले की सुरनकोट तहसील में पुंछ-जम्मू नेशनल हाईवे पर हुए सड़क हादसे में एक महिला की मौत हो गई. जम्मू के साथ लगते नगरोटा की पहाड़ियों में एक मैटा डोर हादसे का शिकार हो गया. मेटाडोर में 25 के करीब सवारियां बैठी हुई थी जिसमें 12 लोग घायल हो गए.
24 मार्च को उधमपुर के रामनगर में एक ईको गाड़ी 600 फीट गहरी खाई में गिर गई जिससे दो बच्चों समेत 5 लोगों की मौत हो गई. 5 मार्च को सांबा जिले में पेश आए हादसे में 5 लोगों की मौत हो गई थी और 3 फरवरी को किश्तवाड़ सड़क हादसे में 6 लोगों की मौत हो गई थी. लगभग हर दिन जम्मू-कश्मीर से इस तरह के छोटे-बड़े हादसों की रिपोर्ट्स मिलती रहती हैं. हम दुर्घटनाओं के कारण जानने की कोशिश करेंगे लेकिन पहले एक नज़र इन आंकड़ों पर डालिये.
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सरकारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 में जम्मू-कश्मीर में पेश आए सड़क हादसों में कुल 713 लोगों की जिंदगी चली गई. ट्रैफिक डिपार्टमेंट के हवाले से जारी किए गए आंकड़ों की मानें तो जम्मू-कश्मीर में साल 2021 में जनवरी से लेकर नवंबर महीने तक 5 हजार 36 सड़क हादसे हुए. जिसमें 713 लोगों की मौत हुई और 6447 लोग ज़ख्मी हुए. इनमें से 3278 हादसे जम्मू संभाग में हुए जिसमें 521 लोगों की मौत हुई और 4241 लोग ज़ख्मी हुए. सिर्फ जम्मू जिले की बात करें तो यहां हादसों में 102 लोगों की जान गई. कठुआ में 76 और रामबन में 63 लोग सड़क हादसों का शिकार हुए.
साल 2018 से 2020 के बीच जम्मू-कश्मीर में 16 हजार 834 सड़क हादसे हुए जिनमें 2708 लोगों की जान गई जबकि 21 हजार 271 लोग सड़क हादसों में गंभीर रुप से घायल हुए. इनमें से कई ऐसे भी लोग हैं जो अब कभी चल फिर नहीं सकेंगे. 2018 में जम्मू कश्मीर नेशनल हाईवे पर 5978 सड़क हादसे हुए जिनमें 984 लोगों ने अपनी जान गंवा दी. 7500 से ज्यादा लोग जख्मी हुए. 2019 में सड़क हादसों में मामूली कमी देखी गई लेकिन मरने वालों की तादाद में इज़ाफा देखा गया.
इस अर्से में यूटी में मोटे तौर पर कुल 5796 सड़क हादसों में 996 लोगों की मौत हुई जबकि 7532 लोग घायल हुए. 2020 में कोविड प्रोटोकॉल्स की वजह से ट्रैफिक की आमद व रफ्त कम रही. ऐसे में सड़क हादसों में भी कमी आई. 2020 में 4860 सड़क हादसे हुए जिनमें 728 लोगों की मौत हुई. इसी तरह जख्मियों की तादाद भी छह हजार से कम रही. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर इतने ज्यादा हादसे पेश आने की वजह क्या है?
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भद्रवाह के एडीसी दिल मीर चौधरी की मानें तो पहाड़ी इलाकों में रास्तों के मुश्किल होने की वजह से सड़क हादसे पेश आते हैं. इसके अलावा नशा कर के गाड़ी चलाने की वजह से भी सड़क हादसों में इजाफा देखने को मिला है. दिल मीर का मानना है कि आजकल लोन की मदद से गाड़ी खरीदना आसान हो गया है, ऐसे में बिना ट्रेनिंग के लोग गाड़ी खरीद लेते हैं और इससे हादसे बढ़ते हैं. सबसे ज्यादा लोगों की लापरवाही हादसों को दावत देती है इसमें तेज़ रफ्तार गाड़ी चलाना और ओवरलोडिंग अहम वजहें हैं.
कुल मिलाकर अगर लापरवाही कम की जाए तो हादसे टाले जा सकते हैं. ध्यान रखें कि जब आप गाड़ी पर सवार होकर सड़क पर निकलते हैं तो आप पर अपने और सड़क पर चल रहे दूसरे लोगों के जान की भी जिम्मेदारी होती है. इसलिए गाड़ी चलाते वक्त लापरवाही से बचें.
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