खेतिहर मजदूर से झारखंड के CM तक का सफ़र,आखिर चंपई सोरेन पर क्यों लगाया गया दाव ?
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खेतिहर मजदूर से झारखंड के CM तक का सफ़र,आखिर चंपई सोरेन पर क्यों लगाया गया दाव ?

 झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी और इस्तीफे के ट्रांसपोर्ट मंत्री चंपई सोरेन प्रदेश की सत्ता सँभालने के लिए तैयार हैं. उन्होंने राजभवन में अपने विधायकों का समर्थन पत्र के साथ सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है.  

चंपई सोरेन

Champai Soren:  मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी द्वारा झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी और उनके पद से इस्तीफा देने के बाद उनकी सरकार में ट्रांसपोर्ट मंत्री चंपई सोरेन (Champai Soren) झामुमो विधायक दल का नेता मान लिया गया है. चंपई सोरेन (Champai Soren) सत्ता की बागडोर सँभालने के लिए तैयार हैं. गुरुवार की शाम उन्होंने राजभवन में विधायकों के समर्थन और अपनी सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है. अब उनका मुख्यमंत्री पद के लिए शपथ लेना बस एक औपचारिकता भर रह गयी है. झारखंड की अवाम के लिए चंपई सोरेन एक जाना-पहचाना नाम है. वहां के लोग उन्हें 'झारखंड के टाइगर' के नाम से जानते हैं. हालाँकि, झारखंड से बाहर के लोगों के लिए ये नाम बिलकुल नया है. वो चंपई सोरेन का नाम पहली बार सुन रहे हैं. हम आज आपको बताएँगे कि एक खेतिहर मजदूर चंपई सोरेन कैसे सियासत के गलियारे से होकर सत्ता के शीर्ष पर पहुँचने वाले हैं. 

67 वर्षीय चंपई सोरेन झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले के सुदूर जिलिंगोरा गांव में एक साधारण किसान सिमल सोरेन के परिवार में पैदा हुए थे. बचपन से लेकर जवानी तक वो अपने पिता के साथ खेती में उनका हाथ बंटाते थे. सरकारी स्कूल से मैट्रिक पास चंपई सोरेन की कम उम्र में शादी हो गई थी. उनके चार बेटे और तीन बेटियां हैं. 

चंपई सोरेन (Champai Soren) का सियासी सफ़र 
चंपई सोरेन ने पहली बार साल 1991 में सरायकेला सीट पर होने वाले उपचुनाव में एक स्वतंत्र विधायक के रूप में चुनाव लड़ा था और उस सीट से निर्वाचित होकर अपने सियासी करियर की शुरुआत की थी. चार साल बाद, उन्होंने झामुमो सिबू सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर इस सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा और भाजपा के पांचू टुडू को भारी वोटों से शिकस्त दी. हालांकि, 2000 के विधानसभा चुनाव में, वह उसी निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के अनंत राम टुडू से चुनाव हार गए. पांच साल बाद  चंपई सोरेन 2005 में भाजपा उम्मीदवार को महज 880 वोटों के अंतर से हराकर यह सीट दोबारा हासिल कर ली. चंपई सोरेन ने इसके बाद 2009, 2014 और 2019 में चुनाव जीतने का सिलसिला बदस्तूर जारी रखा.  उन्होंने सितंबर 2010 से जनवरी 2013 के बीच अर्जुन मुंडा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में भी कार्य किया. 2019 में जब राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार बनी तो चंपई सोरेन खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति और परिवहन मंत्री बन गए. 

चंपई सोरेन (Champai Soren) से भगवा ब्रिगेड पर निशाना 
जब बिहार से अलग होने के लिए झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन आन्दोलन चला रहे थे तभी चंपई सोरेन उनके इस आन्दोलन में कूद पड़े थे और इस आन्दोलन को आखिरी मुकाम तक पहुंचाने के लिए अपना जीजान लगा दिया था.  यानी चंपई सोरेन, हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन के साथ झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता चंपई सोरेन, हेमंत सोरेन के काफी वफादार हैं, और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के पिता के करीबी माने जाते हैं. साथ ही चंपई सोरेन झारखंड के कोल्हान क्षेत्र से आते हैं, जो बीजेपी का गढ़ माना जाता है. ये इलाका झारखंड को अबतक कई राजनितज्ञ दे चुका है.  झारखंड को अब तक कोल्हान से तीन मुख्यमंत्री मिल चुके हैं - दो भाजपा से थे, जिनमें अर्जुन मुंडा (2010 से 2013 तक) और रघुबर दास (2014 से 2019 तक) शामिल हैं.  झारखंड के दूसरे मुख्यमंत्री मधु कोड़ा कांग्रेस से थे और 2006 से 2008 तक इस पद पर बने रहे. अब चंपई सोरेन भी इसी इलाके से ताल्लुक रखने वाले प्रदेश के चौथे मुख्यमंत्री होंगे. झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री के तौर पर आगे बढाकर प्रदेश में आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को कमजोर कर दिया है. 

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