वक्फ विधेयक मुद्दे पर मिले 1.25 करोड़ मेल की क्या है सच्चाई; भाजपा सांसद ने की ये बड़ी मांग
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वक्फ विधेयक मुद्दे पर मिले 1.25 करोड़ मेल की क्या है सच्चाई; भाजपा सांसद ने की ये बड़ी मांग

Waqf Amendment Bill: वक्फ संशोधन विधेयक पर संसदीय समिति ने लोगों से राय मांगी थी. इस पर कई 1.25 करोड़ मेल आईं. इस पर भाजपा सांसद ने हैरानी जताई है. उन्होंने इसकी जांच की मांग की है.

वक्फ विधेयक मुद्दे पर मिले 1.25 करोड़ मेल की क्या है सच्चाई; भाजपा सांसद ने की ये बड़ी मांग

Waqf Amendment Bill: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे ने वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार कर रही संसदीय समिति को मिले करीब 1.25 करोड़ प्रतिवेदनों को लेकर चिंता जताई है. उन्होंने इनके स्रोतों की जांच की मांग की है. उन्होंने आशंका जताई है कि इतनी अधिक संख्या में आवेदन मिलने के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और चीन की भूमिका हो सकती है. दुबे ने समिति के अध्यक्ष जगदम्बिका पाल को लिखे एक पत्र में कहा कि इस जांच के दायरे में कट्टरपंथी संगठनों, जाकिर नाइक जैसे व्यक्तियों और पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलीजेंस (आईएसआई) व चीन जैसी विदेशी शक्तियों के साथ ही उनके छद्म प्रतिनिधियों की संभावित भूमिका भी शामिल होनी चाहिए.

सरकार को ध्यान देने की जरूरत
समिति के सदस्य और चार बार के लोकसभा सदस्य दुबे का यह भी कहना है कि इस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है कि ये प्रतिवेदन कहां-कहां से आए हैं. उन्होंने दावा किया कि इतने ज्यादा प्रतिवेदनों का अकेले भारत से ही आना सांख्यिकीय रूप से असंभव है. भाजपा नेता ने इतनी बड़ी संख्या में प्रतिवेदन मिलने को "अप्रत्याशित" बताते हुए कहा कि इन प्रतिवेदनों के स्रोतों की जांच करना जरूरी है.

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नजरअंदाज नहीं कर सकते
उन्होंने कहा कि यह एक चिंताजनक प्रवृत्ति का संकेत देता है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. दुबे ने कहा, "मेरे विचार से यह महत्वपूर्ण है कि समिति इन चिंताओं पर ध्यान दे ताकि हमारी विधायी प्रक्रिया की अखंडता और स्वतंत्रता सुनिश्चित की जा सके." इस विवादास्पद विधेयक पर विचार कर रही समिति ने विज्ञापन जारी कर इसके प्रावधानों पर लोगों की प्रतिक्रिया मांगी थी. 

बहुत बड़ी संख्या
अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने हाल ही में कहा था कि किसी ने कभी नहीं सोचा था कि समिति को करोड़ों की संख्या में सिफारिशें मिलेंगी. उन्होंने कहा था कि अगर 1,000 सिफारिशें या प्रतिवेदन भी दिए गए थे, तो इसे एक बड़ी संख्या माना जाता था. दुबे ने पाल को लिखे अपने पत्र में कहा कि यह पूछना जरूरी है कि क्या विदेशी संस्थाएं, संगठन और व्यक्ति जानबूझकर "लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हेरफेर करने" के लिए ऐसा कर रही हैं.

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