शांत इलाके में नहीं गए थे कर्नल मनप्रीत सिंह, टीम की करते रहे कयादत
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शांत इलाके में नहीं गए थे कर्नल मनप्रीत सिंह, टीम की करते रहे कयादत

Who is Karnal Manpreet Singh: कर्नल मनप्रीत सिंह हमेशा अपनी टीम की कयादत करते थे. उन्हें शांत इलाके में तैनाती का ऑपशन दिया गया था लेकिन उन्होंने कहा था 'नो सर'.

शांत इलाके में नहीं गए थे कर्नल मनप्रीत सिंह, टीम की करते रहे कयादत

Who is Karnal Manpreet Singh: जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में सेना के 2 अफसरों समेत पुलिस के 1 अधिकारी शहीद हुए हैं. मरने वालों में कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धोनचक और डीएसपी हुमायूं भट्ट हैं. आतंकियों ने सिक्योरिटी फोर्सेज पर सर्च ऑपरेशन के दौरान गोलाबारी की, जिसमें तीनों जवान घायल हो गए और अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया. 

शांत इलाके में नहीं गए

साल 2021 में पदोन्नति के बाद कर्नल मनप्रीत सिंह को शांत इलाके में तैनाती देने की पेशकश की गई तो उन्होंने जवाब में कहा था, “नो सर’ (बिल्कुल नहीं). उन्होंने इसके बजाय 19 राष्ट्रीय राइफल्स में बने रहने और कमान संभालने को तरजीह दी थी. इस बटालियन ने कई आतंकवादियों को ढेर किया है जिनमें हिज़्बुल मुजाहिदीन का ‘पोस्टर बॉय’ कहा जाने वाला बुरहान वानी भी शामिल था.

बीवी, बेटी और बेटा है

कर्नल सिंह के परिवार में बीवी, छह साल का बेटा और दो साल की बेटी है. उन्हें जद्दोजहद वाले इलाके में सर्विस करने का तजुर्बा था. उन्हें 19 राष्ट्रीय राफल्स में ‘सैकंड-इन कमांड’ (उपकमांडर) रहने के दौरान सेना पदक से नवाजा गया था. 19 राष्ट्रीय राफल्स को दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग, कोकेरनाग और वेरीनाग अचबल, इसके ऊंचाई वाले इलाकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया.

एनकाउंटर में हुए शहीद

इन इलाकों में बीते दिनों आतंकवादियों की, खासकर विदेशी भाड़े के आतंकियों की मौजूदगी रही है. कर्नल सिंह (करीब 40 साल) मेजर आशीष ढोचक, जम्मू-कश्मीर पुलिस के उपाधीक्षक हुमायूं भट और एक जवान के साथ बुधवार को कोकेरनाग के ऊंचाई वाले इलाके में आतंकवादियों के साथ एनकाउंटर में शहीद हो गए. एक जवान अब भी लापता है. मेजर ढोचक (34) का एक महीने पहले भी मौत से सामना हुआ था और उन्हें उत्साही अधिकारी के तौर पर याद रखा जाएगा.

शांत इलाके में तैनाती का था ऑपशन

वह हर अभियान की बारीकियों में जाते थे. सिंह को 2021 में कर्नल के पद पर पदोन्नति दी गई थी और उन्हें शांत इलाके में तैनाती का ऑपशन दिया गया था. इस पेशकश पर उनका त्वारित जवाब था, “नहीं सर, मैं अपनी 19 आरआर (राष्ट्रीय राइफल्स) में तैनात रहना चाहूंगा और अपने जवानों के साथ रहना चाहूंगा." कर्नल सिंह ने विनम्रता से उन्हें दी गई पेशकश को अस्वीकार कर दिया था. 

टीम की कयादत करते थे कर्नल

कर्नल सिंह हमेशा आगे रहकर कयादत करना चाहते थे और आमतौर पर इसकी वजह वह बताते थे कि “मुझे यह तय करना है कि मेरी कमान में हर कोई महफूज रहे.” वह खेल के शौकीन थे. वह हमेशा युवाओं के उत्थान और उन्हें खेल से जुड़ी गतिविधियों में शामिल करने में यकीन रखते थे. औरतों के लिए ‘चिनार क्रिकेट टूर्नामेंट’ और वॉलीबॉल मैच लारकीपुरा के अशांत इलाकों में अक्सर आयोजित होती थीं, जहां 19 राष्ट्रीय राइफल्स का ऑफिस मौजूद है. 

खेल प्रेमी याद करते हैं

इलाके के कई खेल प्रेमियों ने कहा कि उन्हें यकीन नहीं हो रहा कि कर्नल सिंह अब नहीं रहे. उनमें से कई लोगों ने कहा कि अफसर नौजवानों के लिए हमेशा मौजूद रहते थे और उन्हें एक व्यापक समाज बनाने के लिए प्रोत्साहित करते थे. महिला क्रिकेटर रूब्बिया सईद ने कहा, “उनका मानना था कि खेल समाज के निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं. कई लोग नशे के आदी थे जिन्हें उन्होंने पुनर्वास के लिए भेजा था.” 

किस्मत ने नहीं दिया साथ

मेजर ढोचक और उनकी टीम कोकेरनाग के एथलान गडोले इलाके में 10 अगस्त को घेराबंदी और तलाशी अभियान में भाग ले रही थी, तभी आतंकवादियों ने ग्रेनेड फेंका, जिसमें एक जवान सहित तीन लोग घायल हो गए. शहीद सैनिक को जानने वाले एक अफसर ने कहा, “इस बार किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया...” मेजर ढोचक को पिछले महीने ही स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर सेना पदक से नवाज़ा गया था.

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