आजादी के बाद पहली बार वोट डालेंगे इस जगह के लोग; बिना डर जिएंगे लोग
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आजादी के बाद पहली बार वोट डालेंगे इस जगह के लोग; बिना डर जिएंगे लोग

First Time Voting: झारखंड के बूढ़ा पहाड़ और सिंहभूम के लोग पहली बार मतदान करेंगे. यहां पहले माओवाद का राज था. लेकिन हाल ही में ये इलाके आजाद हुए हैं. अब यहां बच्चे तालीम हासिल कर रहे हैं.

आजादी के बाद पहली बार वोट डालेंगे इस जगह के लोग; बिना डर जिएंगे लोग

First Time Voting: जहां कभी दहशत का माहौल था, वहां अब लोकतंत्र के उत्सव में भाग लेने की खुशियां हैं. जी हां, देश की आजादी के बाद पहली बार झारखंड के गढ़वा में मौजूद बूढ़ा पहाड़ के लोग आगामी लोकसभा चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. प्रशासन की ओर से यहां के लोगों को मतदान के प्रति जागरूक किया जा रहा है. जिले के डीसी और एसपी खुद यहां पहुंचकर लोगों को उनके मताधिकार के महत्व व उसके प्रयोग की जानकारी दे रहे हैं. लोगों में भी अपने इस अधिकार के प्रयोग को लेकर उत्साह है. 

एक साल पहले आजाद हुआ इलाका
एक साल पूर्व सुरक्षा बलों ने गढ़वा जिले में मौजूद बूढ़ा पहाड़ को नक्सलियों के चंगुल से आजाद कराया था. बताया जाता है कि अभी तक दहशत में रहे यहां के लोगों ने अब तक कभी मतदान ही नहीं किया है. इस बार लोकसभा चुनाव मे यहां मतदान कराने को लेकर डीसी, एसपी और सीआरपीफ के अधिकारियों ने विशेष तैयारी की है. यहां 13 मई को मतदान होना है.

डर की जगह पढ़ाई
चुनाव आयोग के निर्देश पर डीसी और एसपी यहां खुद पहुंचे और ग्रामीणों से बगैर किसी भय के मतदान की अपील की. कभी दिन रात नक्सलियों की बंदूकों की तड़तड़ाहट और बम धमाकों की आवाजें सुनने वाले यहां के बच्चों को अब कविताएं सुनाई जा रही हैं. दहशत का स्थान अब पेंसिल ने ले लिया है. स्कूलों में जा रहे बच्चे अब बड़े प्यार से पढ़ाई कर रहे हैं. बच्चों के मुख से क से कबूतर ए से एप्पल और टू वन जा टू, टू टू जा फोर आदि सुनकर अधिकारियो ने भी ख़ुशी जाहिर की. एसपी ने बताया कि उन्होंने बगैर किसी भय के लोगों से मतदान की अपील की है.

13 मई को पहली बार वोटिंग
वहीं दूसरी तरफ झारखंड के सिंहभूम लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में माओवाद से प्रभावित रहे कई अंदरूनी इलाकों में 13 मई को पहली बार या दशकों बाद मतदान होगा. मतदान दलों और आवश्यक सामग्री को हेलीकॉप्टर के जरिए इन स्थानों पर उतारा जाएगा ताकि एशिया के सबसे घने ‘साल’ जंगल सारंडा में रहने वाले लोग अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें. ये चुनाव कर्मी दूरस्थ स्थानों पर 118 बूथ स्थापित करेंगे. 

कोई मतदाता न छूटे
पश्चिमी सिंहभूम के उपायुक्त सह जिला निर्वाचन अधिकारी कुलदीप चौधरी ने से कहा, "हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि कोई भी मतदाता छूट न जाए. हमने ऐसे कई क्षेत्रों की पहचान की है जहां पहली बार या लगभग दो दशक के बाद मतदान होगा क्योंकि ये स्थान माओवादी उग्रवाद से बुरी तरह प्रभावित थे." स्थिति में सुधार के बावजूद पश्चिमी सिंहभूम देश में वामपंथी उग्रवाद से सर्वाधिक प्रभावित जिलों में से एक बना हुआ है. पिछले साल यहां माओवाद संबंधी 46 घटनाएं हुईं, जिनमें 22 लोगों की मौत हुई. उपायुक्त ने बताया नुगडी के मिडिल स्कूल और बोरेरो के मध्य विद्यालय जैसे मतदान केंद्रों पर पहली बार मतदान होगा.

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