पति ने फोन पर दिया तीन तलाक, पत्नी पहुंची कोर्ट; बोली- “यह शरिया विरोधी, असंवैधानिक और बर्बर’’
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पति ने फोन पर दिया तीन तलाक, पत्नी पहुंची कोर्ट; बोली- “यह शरिया विरोधी, असंवैधानिक और बर्बर’’

जब शिकायतकर्ता ने अपने शौहर से पूछा कि वह उसे तलाक दिए बगैर दूसरी शादी कैसे कर सकता है तो उसने (अब्दुल ने) कथित रूप से दावा किया कि जब एक बार उसने उसे पीटा था, तब उसने (महिला ने) खुद ही तीन बार तलाक बोला था.

अलामती तस्वीर

ठाणेः महाराष्ट्र के ठाणे में फोन पर अपनी बीवी को कथित रूप से ‘तीन तलाक’ देने को लेकर दिल्ली के एक बाशिंदे के विरूद्ध मामला दर्ज किया गय है. एक अधिकारी ने बताया कि डोम्बिवली के तिलक नगर थाने में अब्दुल वहाब खान के विरूद्ध भादंसं की धारा 498 -(ए) और मुस्लिम महिला (शादी अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 2019 के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई है. प्राथमिकी के मुताबिक खान ने अप्रैल, 2006 में जिले के कल्याण निवासी महिला (शिकायतकर्ता) से शादी की थी और दोनों के तीन बच्चे हैं.

पति कर रहा है दूसरी शादी 
शिकायतकर्ता ने पुलिस को बताया कि अब्दुल शराब पीटकर उसके साथ मारपीट करता था, इसलिए वह पिछले साल अपने मायके लौट आई थी. महिला ने बताया कि तीन दिन पहले अब्दुल ने कथित रूप से फोन करके बताया कि वह दूसरी शादी कर रहा है, ऐसे में उसे कोई रूकावट नहीं पैदा करनी चाहिए. जब शिकायतकर्ता ने अपने शौहर से पूछा कि वह उसे तलाक दिए बगैर दूसरी शादी कैसे कर सकता है तो उसने (अब्दुल ने) कथित रूप से दावा किया कि जब एक बार उसने उसे पीटा था, तब उसने (महिला ने) खुद ही तीन बार तलाक बोला था.

अवैध है अब एक बार में तीन तलाक देना 
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि उसके शौहर ने इस बातचीत के दौरान तीन तलाक बोला एवं घोषणा की कि उन दोनों के बीच अब तलाक हो गया. इस तरह तलाक देना 2019 के कानून के तहत प्रतिबंधित है और उसके लिए तीन साल तक की कैद की सजा का प्रावधान है. अधिकारी ने बताया कि इस मामले की जांच चल रही है, और अभी किसी की गिरफ्तारी नहीं की गई है. 

पत्नी को तलाक देने के एकतरफा अधिकार को हाईकोर्ट में चुनौती 
वहीं तलाक के एक दूसरे मामले में मुस्लिम पति द्वारा अपनी पत्नी को किसी भी समय, बिना कारण के और पहले से नोटिस दिए बगैर तलाक (तलाक-उल-सुन्नत) देने के ‘‘एकतरफा अधिकार’’ को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है. याचिका में इल्जाम लगाया गया है कि यह प्रथा ‘‘मनमाना, शरिया विरोधी, असंवैधानिक, स्वेच्छाचारी और बर्बर’’ है. याचिका 28 वर्षीय मुस्लिम महिला ने दायर की है जिसने कहा कि उसके पति ने इस वर्ष आठ अगस्त को ‘तीन तलाक’ देकर उसे छोड़ दिया और उसके बाद उसने अपने पति को कानूनी नोटिस जारी किया है. उच्चतम न्यायालय ने अगस्त 2017 में फैसला दिया था कि मुस्लिमों में तीन तलाक की प्रथा अवैध और असंवैधानिक है.

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