Meat Shop Policy: अब मीट शॉप को मालिकों के करना होगा ये काम, दिल्ली सरकार ले आई नई पॉलिसी
Advertisement
trendingNow,recommendedStories0/zeesalaam/zeesalaam1938958

Meat Shop Policy: अब मीट शॉप को मालिकों के करना होगा ये काम, दिल्ली सरकार ले आई नई पॉलिसी

Meat Shop Policy: दिल्ली में नई मीट शॉप पॉलिसी लागू की जा सकती है. जिसके अनुसार मंदिर के 150 मीटर के दायरे में कोई मीट शॉप खोलने की इजाजत नहीं होगी. पूरी खबर पढ़ने के लिए स्क्रॉल करें.

Meat Shop Policy: अब मीट शॉप को मालिकों के करना होगा ये काम, दिल्ली सरकार ले आई नई पॉलिसी

Meat Shop Policy: दिल्ली मुंसिपल कॉर्पोरेशन मीट शॉप पॉलिसी लेकर आई है. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबित, इस नीति का मांस व्यापारियों के संगठन ने कड़ा विरोध किया है और नीति को वापस नहीं लेने पर अदालत जाने की धमकी दी है. लेकिन आखिर नई मीट शॉप लाइसेंस पॉलिसी क्या है? आइये जानते हैं.

मीट शॉप पॉलिसी क्या कहा? (What meat shop licence policy)

इस नीति के मुताबिक मीट की दुकान और धार्मिक स्थल या श्मशान घाट के बीच कम से कम दूरी 150 मीटर होनी चाहिए. नगर निकाय ने कहा कि अगर लाइसेंस मिलने के बाद आउटलेट और धार्मिक स्थल अस्तित्व में आता है तो वह आउटलेट और धार्मिक स्थल के बीच की दूरी पर ध्यान नहीं देगा. इसके साथ ही पॉलिसी में मस्जिद के साथ सुअर के गोश्त को छोड़कर दूसरी प्रजातियों के गोश्त को बेचने की इजाजत देती है. लेकिन, इसके लिए इमाम से 'नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट' लेना होगा.

लाइसेंस रिन्यू कराने की फीस

फिलहाल इस नीति को लागू नहीं किया गया है. इस पॉलिसी के अनुसार नगर निकाय के पूर्ववर्ती उत्तर, दक्षिण और पूर्वी निगमों में मांस की दुकानों के लिए लाइसेंस जारी करने और नवीनीकरण की फीस दुकानों के लिए ₹18,000 और प्रोसेसिंग यूनिट्स  के लिए ₹1.5 लाख तय की गई है.

जुर्माने पर बढ़ोतरी

नीति में कहा गया है कि लाइसेंस जारी होने की तारीख से हर तीन वित्तीय वर्ष के बाद फीस और जुर्माने में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जाएगी. दिल्ली मास्टर प्लान 2021 के अनुसार, आवासीय क्षेत्र में मांस की दुकान के लिए न्यूनतम आकार 20 वर्ग मीटर है. व्यावसायिक क्षेत्रों में दुकानों के आकार पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा. वहीं मीट प्रोसेसिंग प्लांट कम से कम 150 square metres होना जरूरी है.

मीट ट्रेडर्स क्यों कर रहे हैं इस पॉलिसी का विरोध

दिल्ली में मीट ट्रेडर्स इस पॉलिसी का विरोध कर रहे हैं. असोसिएशन के एक अधिकारी ने पीटीआई से कहा,"एक अवैध दुकान का मालिक, जिसे ₹2,700 का भुगतान करना भी मुश्किल लगता है, अब नवीनीकरण शुल्क के तौर पर ₹7,000 का भुगतान क्यों करेगा, अगर वह स्थानीय पुलिस को थोड़े से पैसे देकर इंतेजाम कर सकता है? इससे सही में रेवेन्यू में भारी नुकसान होगा. एमसीडी और भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा देती है,'

Trending news