धार्मिक स्थलों में नहीं जा सकेंगे 5 से ज्यादा लोग, मेरठ काजी ने कहा, नमाज-ए-तरावीह हमारे लिए जरूरी
उन्होंने कहा कि गाइडलाइन के मुताबिक आपने पांच लोगों को तो मौका दिया लेकिन बाकी जो नमाजी हैं उन्हें यह मौका नहीं मिलेगा.
मेरठ: देशभर में बढ़ रहे कोरोना वायरस को लेकर सभी सरकारों ने एक बार फिर सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. इसी दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार ने कड़ी नियम लागू किए हुए हैं. सरकार के बड़े फैसलों में से एक फैसला है कि सभी धार्मिक स्थलों में सिर्फ 5 लोगों को जाने की अनुमति होगी. ऐसे में रमजान को नजदीक देखते हुए मेरठ शहर के काजी का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने सरकार के इस कदम को तरावीह और नमाज पर पाबंदी के लिए उठाया गया फैसला बता दिया.
तरावीह की नमाज पढ़ना हमारे लिए जरूरी है अगर हम यह नहीं पढ़ते तो अल्लाह के हम गुनहगार होंगे. गाइडलाइन के मुताबिक आपने पांच लोगों को तो मौका दिया लेकिन बाकी जो नमाजी हैं उन्हें यह मौका नहीं मिलेगा. उन्होंने कहा है कि मैं इस विषय में संबंधित अफसरों से बात करूंगा और उन्हें समझाएंगे कि इसी गाइडलाइन के अंदर यह भी बात समझ में आती है थी एक समय में धार्मिक स्थल पर सभी गरीब आदमी नमाज पढ़ सकते हैं अगर अधिकारियों की समझ में आई तो उसके बाद कुछ गुंजाइश निकाली जाएगी.
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कब शुरु होगा है रमजान
बता दें कि सोमवार या मंगलवार को रमजान का चांद नजर आएगा. इस बात की बहुत कम उम्मीद है कि सोमवार को चांद नजर आए लेकिन अगर कल चांद नजर आता है तो बुधवार से रोजा और तरावीह का आगाज हो जाएगा.
क्या है रमजान
दरअसल रमजान एक अरबी महीने का नाम है. यह महीना इस्लामी कैलेंडर के हिसाब 9वां महीना होता है. रमजान एक अरबी लफ्ज है और एक जानकारी के मुताबिक इसका मतलब होता है "झुलसा देने वाला". कहा जाता है कि रमजान नाम इसलिए रखा गया था क्योंकि यह महीना जब पहली बार आया था तो उस समय झुलसा देने वाली गर्मी थी. हालांकि कुछ उलेमाओं के इस हवाले से अलग ख्याल है. यह महीना मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र होता है.
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70 गुना ज्यादा मिलता है सवाब
कहा जाता है कि इस महीने में इबादत करने से 70 गुना ज्यादा सवाब मिलता है. जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं और शैतानों को कैद कर दिया जाता है. मुसलमान इस महीने अपने रब के आगे ज्यादा से ज्यादा इबादत करता है और अपने गुनाहों की तौबा करता है.
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