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दरभंगा: कोरोना वायरस ने जिंदगी में कई अहम बदलावों के साथ साथ यह भी सिखा दिया कि कौन हमारा अपना है और कौन पराया है. एक ऐसा ही मामला बिहार के दरभंगा जिले में सामने आया है. यहां एक कलयुगी बेटे ने कोरोना वायरस से हुई मौत के बाद पिता की लाश लेने से इनकार किया है. ऐसे में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो किसी का मजहब देखे बगैर आपसी भाईचारे की मिसाल पेश करते हैं.
बेटे के द्वारा पिता की लाश लेने से इनकार करने के बाद कबीर संस्था के मुस्लिम लोगों की अगुवाई में उसके धर्म के रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किया गया. ऐसे में कई सवाल खड़े होते हैं. जिस बेटे के जन्म पर मां-बाप खुशी से झूम उठते हैं और उनको लगता है कि उनका लाडला एक दिन उनके अधूरे ख्वाबों को मुकम्मल करेगा और हमारी मौत होने के बाद शव को मुखाग्नि देकर अपना पुत्र धर्म निभाएगा.
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हमारी सहयोगी वेबसाइट जी बिहार झारखंड के मुताबिक मामले कमतौल थाना इलाके व केवटी प्रखण्ड के पिंडारुच का है. यहां के रिटायर्ड रेलकर्मी, उनकी ब्तनी और दो बेटे कोरोना पॉज़िटिव पाए गए थे. जिसके बाद उन्हें अस्पताल में दाखिल कराया गया लेकिन इलाज के दौरान रिटायर्ड रेलकर्मी की मौत हो गई.
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मौत होने के बाद मृत शख्स के तीसरे बेटे ने लाश लेने से इनकार कर दिया और कोई भी मृतक का अंतिम संस्कार करने के लिए आगे नहीं आ रहा था. ऐसे में इस मामले की जानकारी कबीर संस्था को दी गयी. जिसके सदस्यों ने मुस्लिम युवक की अगुवाई में हिन्दू रीति रिवाज के साथ शव का अंतिम संस्कार किया.
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