कहा जाता है कि नक्सली रहते उनके इकलौते भाई की करंट लगने से मौत हो गई थी. मिथुन भाई की मौत का सदमा न झेल सके
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West Bengal Assembly Election: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोलकाता में हुई आज रैली में बॉलीवुड सुपर स्टार मिथुन चक्रवर्ती ने भाजपा का दामन थामा. इस दौरान उन्होंने राज्य की सत्ता पर काबिज तृणमूल कांग्रेस (TMC) पर जमकर हमला बोला और राज्य की जनता को यकीन दिलाया कि हम गरीबों के लिए काम करेंगे. इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि यह मेरे लिए किसी सपने से कम नहीं है.
बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं जब मिथुन चक्रवर्ती किसी सियासी पार्टी से जुड़े हों. इससे पहले भी वो उस पार्टी के लिए काम कर चुके हैं जिसके खिलाफ उन्होंने फिलहाल मोर्चा खोला हुआ है. जी हां आप ठीक समझ रहे हैं, मिथुन चक्रवर्ती इससे पहले तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में सेवाएं दे चुके हैं. इसके अलावा मिथुन अपने छात्र जीवन में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सिस्ट-लेनिस्ट) के मेंबर भी रह चुके हैं.
फिल्मों में जाने से पहले नक्सली थे मिथुन !
मिथुन चक्रवर्ती का असली नाम गौरांग चक्रवर्ती है. उनका जन्म 19 जून 1950 को बंगाल की राजधानी कोलकाता में हुआ था. ग्रेजुएशन मुकम्मल होने के बाद उन्होंने पुणे स्थित फिल्म एंड टेलीविजन इन्स्टीट्यूट (एफटीआई) में दाखिला लिया और यहां से उनका फिल्मी करियर शुरू हुआ. बताया जाता है कि फिल्मों की जानिब जाने से पहले मिथुन एक नक्सली थे.
भाई की मौत ने बदली जिंदगी
कहा जाता है कि नक्सली रहते उनके इकलौते भाई की करंट लगने से मौत हो गई थी. मिथुन भाई की मौत का सदमा न झेल सके. इस घटना के बाद वे यह रास्ता छोड़कर अपने परिवार के पास वापस लौट आए. इस दौरान उन्होंने अपनी जान को भी जोखिम डाला.
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कामयाबी भरा रहा फिल्मी करियर
मिथुन ने फिल्मी दुनिया की तरफ रुख किया और 1976 में आई फिल्म "मृगया" में उन्होंने डेब्यू किया. इस फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के नेशनल अवार्ड से भी सम्मानित किया गया. फिर क्या था, मिथुन चक्रवर्ती ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद कई ताबड़तोड़ सुपर हिट फिल्में कीं. बता दें कि बतौर लीड एक्टर उनकी पहली फिल्म "मुक्ति" थी.
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इस वजह से छोड़ा ममता बनर्जी का साथ
जब ममता बनर्जी ने पहली बार पश्चिम बंगाल की गद्दी संभाली थी तो उस वक्त उन्होंने मिथुन चक्रवर्ती को पार्टी ज्वाइन करने की दावत दी थी. ममता की इस दावत को मिथुन ने कुबूल कर लिया और साल 2016 में राज्यसभा से सांसद भी निर्वाचित हुए लेकिन उनका नाम शारदा चिटफंड घोटाले मे आने के बाद उनके हालात ही बदल गए. वो इस कंपनी के एंबेस्डर थे. इसके बाद उनकी ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी से दूरियां बढ़ गईं और उन्होंने राजनीति से सन्यास के साथ साथ राज्यसभा से भी इस्तीफा दे दिया.
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