नई दिल्ली: 3 मई 2018 को एमएसडीपी मंसूबा बंदी का नाम बदलकर प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम किया गया था. तभी से लगातार ये सवाल किए जा रहे थे कि अल्पसंख्यक समाज की तरक्क़ी और आगे बढाने के मकसद से चलाई जा रही इस स्कीम का कितना फायदा अक्लियती तबके को पहुंच रहा है ? जब इस स्कीम को शूरू किया गया तो कहा गया कि मुल्कभर के ऐसे इलाकों का इंतिखाब करके उन जगहों पर स्कूल, कालेज, और दूसरे विकास के काम किए जाएंगे जहां अक्लियती आबादी ज्यादा हैं, और वहां तालीमी या समाजी तौर पर पिछड़ा पन है. इन इलाकों की पहचान 2011 की मर्दमशुमारी के अदादो शुमार से की गई थी.


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अब मरकज़ी हुकूमत ने संसद को जानकारी दी है, कि उसने पीएमजीवीके के तहत 49 हज़ार से ज्यादा प्रमुख योजनाओं को मंजूरी दी गई. इसके तहत 49 डिग्री कॉलेज, 179 आवासीय स्कूल, 3016 स्कूल की इमारतें, 42269 क्लॉस रूम, लाइब्रेरी, हॉल, 15659 क्लासों में स्मार्ट रूम, 7452 शौचालय, 1323 हॉस्टल, 207 आईटीआई इमारत, 56 पालीटेक्निक, 591 सद्भाव मंडप, और 92 खेल सुविधाएं दी है.


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संसद में ये सवाल के नवासखनी ने लिखित में पूछा था, जिसके जवाब में अल्पसंख्यक कार्यमंत्री स्मृति ईरानी ने दिया. अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने ये भी बताया कि अल्पसंख्यको के लिए नई उड़ान, पढ़ो परदेस, नई रोशनी और छात्रों के स्कालरशिप के लिए भी बहुत सी योजनाएं चलाई जा रही है.


इसके अलावा मोदी सरकार  ने संसद के इस सेशन के दौरान ये भी बताया है कि साल 2014 से अब तक जामिया मिल्लिया और एएमयू को कितना फंड दिया.  शिक्षा राज्य मंत्री डॉ सुभाष सरकार ने जामिया और AMU को लेकर संसद में जो आंकड़े पेश किए हैं, उससे पता चलता है कि मोदी सरकार ने साल दर साल इन यूनिवर्सिटीज को दिए जाने वाले फंड में इजाफा किया है.
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