शिक्षा राज्य मंत्री डॉ सुभाष सरकार ने जामिया और AMU को लेकर संसद में जो आंकड़े पेश किए हैं, उससे पता चलता है कि मोदी सरकार ने साल दर साल इन यूनिवर्सिटीज को दिए जाने वाले फंड में इजाफा किया है.
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नई दिल्ली: क्या मोदी सरकार जामिया और एएमयू को लेकर भेदभाव करती है, क्या इन यूनिवर्सिटीज का फंड कम किया गया है, ये कई ऐसे सवाल हैं जो अक्सर उठाए जाते हैं लेकिन अब सरकार ने संसद में 2014 से अब तक के आंकड़े दिए हैं. आइए इन आंकड़ों की मदद से जानते हैं कि मोदी हुकूमत ने जामिया और एएमयू को कितना फंड दिया है.
विपक्ष की तरफ से आरोप लगते रहे हैं कि अक्सर मोदी सरकार अल्पसंख्यक समाज के साथ भेदभाव करती है. खासतौर पर जामिया और एएमयू जैसे इदारों के फंड को लेकर भी सवाल खड़े किए जाते हैं. इन्ही तमाम सवालों के जवाब अब मोदी सरकार ने संसद में दिए हैं और बताया है कि 2014 के बाद से जामिया और एएमयू को कितना फंड दिया. संसद में ये सवाल सांसद टी एन प्रथापन ने पूछा जिसका जवाब, शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने दिया. हम अदादो शुमार के जरिए दिखाते हैं कि कैसे साल दर साल सरकार इन यूनिवर्सिटीज को बढ़ाकर फंड देती रही हैं.
जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी
(रकम करोड़ में)
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी
गौरतलब है कि ये पिछले 8 साल के अदादो शुमार हैं, जो बताते हैं कि मोदी सरकार में इन दोनों बड़ी यूनिवर्सिटी का फंड कम नहीं हुआ बल्कि बढ़ा है. जामिया ने तो इस बार NIRF की लिस्ट में तीसरा मकाम हासिल किया है.
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