Muslim Marriage: बॉम्बे हाई कोर्ट में मुसलमानों की शादी को लेकर अहम फैसला सुनाया है. इसके तहत मुस्लिम शख्स एक से ज्यादा शादियां रजिस्टर करा सकते हैं. शख्स ने इस मामले में एक याकिका दी थी.
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Muslim Marriage: इस्लाम धर्म में इस बात की इजाजत है कि मुस्लिम मर्द बहुविवाह कर सकता है. इसी मामले पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. हाई कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि मुस्लिम शख्स एक से ज्यादा शादियों का रजिस्ट्रेशन करा सकता है. क्योंकि उनके 'पर्सनल लॉ' में बहुविवाह की इजाजत है. हाई कोर्ट का यह आदेश उस अर्जी पर आया है, जिसमें एक शख्स ने कहा था कि वह अपनी तीसरी बीवी के साथ शादी रजिस्टर करना चाहता है. हाई कोर्ट ने शख्स को तीसरी शादी रजिस्टर कराने की इजाजत दे दी.
क्या है मामला?
बाम्बे हाई कोर्ट के जज जस्टिस बी.पी. कोलाबावाला और सोशेखर सुंदरसन की पीठ ने मुस्लिम शख्स की तरफ से पिछले साल फरवरी में दायर अर्जी पर फैसला दिया है. शख्स ने अल्जीरिया की एक औरत के साथ शादी रजिस्टर करने की इजाजत मांगी थी. अपनी अर्जी में शख्स ने मांग की थी कि वह अफसरों को हिदायत दें कि उनका शादी का सर्टिफिकेट जारी किया जाए. शख्स ने दावा किया था कि अधिकारियों ने सर्टिफिकेट देने से इसलिए मना कर दिया था कि महाराष्ट्र विवाह ब्यूरो विनियमन के तहत शादी की परिभाषा में सिर्फ एक शादी है.
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अदालत का फैसला
हाई कोर्ट के मुताबिक विवाह पंजीकरण में ऐसा कुछ नहीं है, जो किसी मुस्लिम शख्स को तीसरी शादी को रजिस्टर कराने से रोके. मुस्लिम को पर्सनल लॉ के तहत एक वक्त में 4 बीवियां रखने की इजाजत है. अगर हम अधिकारियों की दलील को मानते हैं, तो इसका मतलब ये होगा कि अधिनियम मुस्लिमों के पर्सनल लॉ को दरकिनार करता है. अदालत ने दो हफ्ते में नगर निकाय को सभी दस्तावेज देने के आदेश दिए. उम्मीद की जा रही है कि अब शख्स अपनी तीसरी शादी रजिस्ट करा सकेगा.