BJP MLA Vikram Saini convicted in Kanwal case: कवाल कांड में विशेष एमपी/एमएलए अदालत ने मंगलवार को भाजपा विधायक विक्रम सैनी ( BJP MLA Vikram Saini) समेत 11 को कसूरवार करार देते हुए सजा सुनाई है. हालांकि, सभी को जमानत में रिहा कर दिया गया है, अब मुजरिम इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देंगे.
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मुजफ्फरनगरः मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए साम्प्रदायिक दंगों (Muzaffarnagar Riots) की वजह माने जाने वाले कवाल कांड में विशेष एमपी/एमएलए अदालत (special MP MLA court) ने मंगलवार को भाजपा विधायक विक्रम सैनी (BJP MLA Vikram Saini Convicted) समेत 11 दीगर लोगों को कसूरवार करार देते हुए दो-दो साल की कैद और जुर्माने की सजा सुनाई है. हालांकि, सभी को निजी मुचलके पर रिहा भी कर दिया गया है.
विशेष एमपी/एमएलए अदालत के न्यायाधीश गोपाल उपाध्याय ने खतौली क्षेत्र से भाजपा विधायक विक्रम सैनी और 11 अन्य मुजरिमों को भारतीय दण्ड विधान की धारा 336 (जीवन को खतरा पैदा करने), 353 (सरकारी काम में बाधा डालने के लिए आपराधिक हमला), 147 (दंगा करना), 148 (घातक शस्त्रों से दंगा फैलाना), 149 (गैरकानूनी रूप से भीड़ जमा करना) और आपराधिक विधि संशोधन अधिनियम की धारा सात के तहत कसूरवार करार देते हुए दो-दो साल की कैद और 10-10 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है.
सजा के बाद मिली जमानत, हाई कोर्ट में देंगे फैसले को चुनौती
अदालत ने मामले के 15 मुल्जिमों को सुबूतों के अभाव में इल्जामों से बरी कर दिया. हालांकि, सजा सुनाए जाने के बाद भाजपा विधायक और अन्य दोषियों को 25-25 हजार रुपए के दो मुचलकों पर रिहा कर दिया गया. हालांकि, जमानत मिलने से पहले इन सभी को कई घंटों तक न्यायिक हिरासत में रखा गया था. जमानत मिलने के बाद अब वे अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दे सकेंगे. भाजपा विधायक विक्रम सैनी और 26 अन्य के खिलाफ मुजफ्फरनगर दंगों की मुख्य वजह माने जाने वाले कवाल कांड मामले में मुकदमा दर्ज किया गया था.
मुजफ्फनगर दंगों की वजह बनी थी ये घटना
गौरतलब है कि कवाल गांव में अगस्त 2013 में छेड़खानी के एक मामले में गौरव और सचिन और शाहनवाज नामक युवकों की हत्या कर दी गई थी. बाद में इस घटना ने साम्प्रदायिक रंग ले लिया था. गौरव और सचिन का अंतिम संस्कार करके लौट रही भीड़ ने हिंसक रुख अख्तियार करते हुए कई मकानों को आग लगा दी थी. इस मामले में सैनी के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही की गयी थी. कवाल कांड के बाद सितम्बर 2013 में मुजफ्फनगर और आसपास के कुछ जिलों में साम्प्रदायिक दंगे भड़क गए थे, जिनमें कम से कम 60 लोग मारे गए थे और 40 हजार अन्य लोगों को अपना घर-बार छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर पनाह लेना पड़ा था.
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