सिराज जुनून और गौरव की कई कहानियों में से एक हैं जिसका जिक्र भारतीय क्रिकेट पर नई किताब ‘मिशन डॉमिनेशनः एन अनफिनिश्ड क्वेस्ट’ में किया गया है. इसके लेखक बोरिया मजूमदार और कुशान सरकार हैं जबकि इसे साइमन एंड शुस्टर ने प्रकाशित किया है.
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नई दिल्लीः अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद की बल्लेबाजों की बुध को जारी ताजा रैंकिंग में लार्ड्स टेस्ट की दोनों पारियों में चार-चार विकेट चटकाने वाले भारत के तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज 18 स्थान के फायदे से 38वें स्थान पर पहुंच गए हैं. वहीं दो लेखकों ने क्रिकेटर सिराज की जिंदगी और उनके संघर्षों की कहानी पर एक किताब लिख दी है. भारतीय तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज की कहानी काफी खूबसूरत है जो भावनाओं से भरी है. इसमें त्रासदी का दुख, अपने कौशल में पारंगत होने का रोमांच और शीर्ष स्तर पर कामयाबी की खुशी शामिल है. इंग्लैंड के खिलाफ लार्ड्स में हाल में खत्म दूसरे टेस्ट में भारत की जीत के दौरान आठ विकेट चटकाकर सिराज ने दिखा दिया है कि आस्ट्रेलिया में उनकी कामयाबी तुक्का नहीं थी और वह लंबी रेस के घोड़े हैं. सिराज जुनून और गौरव की कई कहानियों में से एक हैं जिसका जिक्र भारतीय क्रिकेट पर नई किताब ‘मिशन डॉमिनेशनः एन अनफिनिश्ड क्वेस्ट’ में किया गया है. इसके लेखक बोरिया मजूमदार और कुशान सरकार हैं जबकि इसे साइमन एंड शुस्टर ने प्रकाशित किया है.
आस्ट्रेलिया में एक कैदी की तरह क्वारंटीन थे सिराज
भारतीय टीम को हमेशा से पता था कि सिराज के अंदर सफलता हासिल करने का जज्बा है क्योंकि उन्होंने उसे आस्ट्रेलिया दौरे के दौरान देखा था जब बीमारी के बाद उनके पिता का इंतेकाल हो गया था. किताब के मुताबिक, ‘‘नवंबर में आस्ट्रेलिया में 14 दिन के अनिवार्य पृथकवास के दौरान सिराज के पिता का इंतकाल हो गया था. इसका मतलब था कि टीम का उसका कोई भी साथी इस दौरान गम को साझा करने उसके कमरे में नहीं जा सकता था. उस वक्त सभी के कमरों के बाहर पुलिसकर्मी खड़े थे जिससे कि भारतीय नियमों का उल्लंघन नहीं करें. उनकी निगरानी ऐसे हो रही थी जैसे वे मुजरिम हैं जो आस्ट्रेलिया में कोविड का निर्यात कर सकते हैं.’’
पिता की मौत का गम किसी से साझा भी नहीं कर सके
इसमें कहा गया, ‘‘इसका नतीजा यह था कि टीम के साथी पूरे दिन उसके साथ वीडियो कॉल पर बात करते थे. वे फिक्रमंद थे कि कहीं वह कुछ गलत न कर ले या खुद को नुकसान न पहुंचा ले. सिर्फ फिजियो उपचार के लिए उसके कमरे में जा सकता था और नितिन पटेल ने अंदर जाकर इस युवा खिलाड़ी का गम साझा किया था.’’ किताब के मुताबिक, ‘‘सिराज कई मौकों पर टूट गए जो स्वाभाविक था लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी. वह भारत के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की अपने पिता की इच्छा पूरी करना चाहते थे और जब मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर बॉक्सिंग डे टेस्ट के दौरान मौका मिला तो वह उसे हाथ से नहीं जाने देना चाहते थे.’’
दूसरे खिलाड़ियों के भी त्याग के किस्से हैं दर्ज
आस्ट्रेलिया दौरे पर टेस्ट श्रृंखला में 13 विकेट चटकाकर सिराज रातों-रात स्टार बन गए. वह श्रृंखला के दौरान भारत के सबसे कामयाब गेंदबाज रहे. इस किताब में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि ऋषभ पंत और नवदीप सैनी ने किस तरह दिल्ली और जिला क्रिकेट संघ में प्रतिकूल परिस्थितियों में प्रदर्शन किया और किस तरह दिनेश लाड ने किशोर शार्दुल ठाकुर के पिता को मनाया कि वह अपने बेटे को मुंबई जाने की इजाजत दें जिससे कि वह शीर्ष स्तर का क्रिकेट खेल सके. अरविंद पुजारा ने बताया कि कैसे मां के इंतेकाल के कुछ दिन बाद चेतेश्वर अंडर-19 मैच खेलने गया और इस दौरान एक बूंद आंसू नहीं बहाया. क्षेत्ररक्षण कोच आर श्रीधर ने पैर की मांसपेशियों में चोट के बावजूद हनुमा विहारी को कैसे कहा कि वह टीम के कर्जदार हैं और उन्हें सिडनी टेस्ट बचाने की जरूरत है.
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