परियोजना के तहत पांचवीं पनडुब्बी, आईएनएस वागीर का समुद्र में परीक्षण जारी है और इसे इस साल के अंत तक सेवा में शामिल किए जाने की संभावना है. परियोजना को फ्रांस की तकनीकी सहायता से क्रियान्वित किया जा रहा है. नयी पनडुब्बी इसके पुराने संस्करण का नवीनतम रूप है. जहाज, पनडुब्बी के सेवामुक्त होने के बाद नए जहाज, पनडुब्बी को पुराने वाले नाम से ही सेवा में शामिल किया जाता है.
इस अवसर पर मौजूद, पश्चिमी नौसेना कमान के कमांडर-इन-चीफ वाइस एडमिरल अजेंद्र बहादुर सिंह ने कहा, ‘‘ये बहुत ही उन्नत और आधुनिक पनडुब्बी हैं और इनसे भारतीय नौसेना की क्षमता में वृद्धि हुई है. इनमें नयी तकनीक और सेंसर हैं. इससे हमारी युद्ध क्षमता और निगरानी में सुधार हुआ है.
हिंद महासागर में गहरे पानी की समुद्री शिकारी कहलाने वाली सैंडफिश के नाम पर इसका नाम ‘वगशीर’ रखा गया है. स्कॉर्पीन पनडुब्बियां पनडुब्बी रोधी युद्ध, खुफिया जानकारी एकत्र करना, विस्फोटक लगाने और क्षेत्र की निगरानी जैसे कई प्रकार के मिशन कर सकती हैं.
आईएनएस वगशीर के करीब एक साल तक व्यापक कड़े परीक्षण होंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह युद्ध के लिए पूरी तरह से सक्षम हो. पनडुब्बी देश की समुद्री सुरक्षा को भी बढ़ाती है. इस पनडुब्बी के साथ स्वदेशी उपकरणों के इस्तेमाल भी की गई है.
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