राम नगरी पहुंचे राष्ट्रपति ने उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दीगर की मौजूदगी में एक रामायण संगोष्ठी की शुरुआत की.
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अयोध्याः राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इतवार को श्री राम जन्म भूमि परिसर में रामलला के दर्शन किए और कहा कि भगवान राम के बिना अयोध्या की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. राम नगरी पहुंचे राष्ट्रपति ने उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दीगर की मौजूदगी में एक रामायण संगोष्ठी की शुरुआत की. कोविंद ने अपने परिवार के साथ श्री राम जन्म भूमि परिसर में रामलला के दर्शन भी किए और हनुमान गढ़ी मंदिर में भी पूजा-अर्चना की. इस दौरान लोग अपने घरों की छतों पर राष्ट्रपति की झलक पाने के लिए खड़े देखे गए. राष्ट्रपति ने कहा कि राम के बिना अयोध्या, अयोध्या नहीं है. अयोध्या तो वही है जहां राम हैं. अयोध्या भूमि राम की लीला भूमि और जन्मभूमि तो है ही, राम के बिना अयोध्या की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. उन्होंने कहा कि राम सभी के हैं और राम सभी में हैं. कोविंद ने विश्वास व्यक्त किया कि अयोध्या नगरी भविष्य में मानव सेवा का उत्कृष्ट केंद्र बनेगी और सामाजिक समरसता का उदाहरण प्रस्तुत करने के साथ ही शिक्षा और शोध का प्रमुख वैश्विक केंद्र भी बनेगी.
राम कथा को जिंदगी में उतारें
कोविंद ने कहा कि रामायण संगोष्ठी की सार्थकता सिद्ध करने के लिए यह जरूरी है कि राम कथा के आदर्शों को सभी लोग अपने आचरण में ढालें. सभी मानव एक ईश्वर की संतान हैं, यह भावना सभी में निहित हो, यही इस आयोजन का मकसद है. अपने खिताब में अपने नाम का जिक्र करते हुए कोविंद ने कहा कि मुझे लगता है कि जब मेरे परिवार में मेरे माता-पिता और बुजुर्गों ने मेरा नामकरण (रामनाथ) किया होगा तो उन सबमें भी संभवतः राम कथा और राम के प्रति वही श्रद्धा और अनुराग का भाव रहा होगा जो सामान्य लोक मानस में देखा जाता है.
राष्ट्रपति ने अयोध्या का समझाया मतलब
राष्ट्रपति ने कहा कि अयोध्या का शाब्दिक अर्थ है-जिसके साथ युद्ध करना नामुमकिन है. रघुवंशी राजाओं रघु, दिलीप, अज, दशरथ और राम जैसे रघुवंशी राजाओं के पराक्रम और शक्ति के कारण उनकी राजधानी को अपराजेय माना जाता था. इसलिए इस नगरी का ’अयोध्या’ नाम सर्वथा सार्थक रहेगा. उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि रामायण एक विलक्षण ग्रंथ है जो राम कथा के माध्यम से मर्यादाओं और आदर्शों को प्रस्तुत करता है। मुझे विश्वास है कि रामायण के प्रचार-प्रसार के लिए उत्तर प्रदेश सरकार का संबंधित प्रयास भारतीय संस्कृति और पूरी मानवता के हित में बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध होगा.
रामायण के दर्शन और मानव जीवन, परिवार और समाज से जोड़ा
कोविंद ने कहा कि रामायण में दर्शन के साथ-साथ आदर्श आचार संहिता भी उपलब्ध है जो जिंदगी के सभी पहलुओं में हमारा मार्गदर्शन करती है. संतान का माता-पिता के साथ, भाई का भाई के साथ, पति का पत्नी के साथ, गुरु का शिष्य के साथ, मित्र का मित्र के साथ और शासक का जनता के साथ तथा मानव का पशु और पक्षियों के साथ कैसा संबंध होना चाहिए, इन सभी पर रामायण में उपलब्ध आचार संहिता हमें सही मार्ग पर ले जाती है. उन्होंने कहा कि रामायण का प्रचार-प्रचार इसलिए आवश्यक है कि उसमें निहित मूल्य मानवता के लिए सदैव बने रहेंगे और रामायण में आप ईश्वर के मानवीकरण या मानव के ईश्वरीकरण की गाथा देख सकते हैं.
आदिवासियों के प्रति भगवान राम के प्रेम पर प्रकाश डाला
आदिवासियों के प्रति भगवान राम के प्रेम पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि अपने वनवास के दिनों में भगवान राम ने युद्ध लड़ने के लिए अयोध्या और मिथिला की सेनाओं को नहीं बुलाया, बल्कि कोल, भील, वानरों को इकट्ठा किया और अपनी सेना बनाई तथा उन्होंने अपने अभियान में जटायु गिद्ध से लेकर गिलहरी तक को शामिल किया. कोविंद ने कहा कि भगवान राम ने आदिवासियों के साथ प्यार और मैत्री को प्रगाढ़ बनाया. उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन में राम के आदर्शों को महात्मा गांधी ने भी आत्मसात किया था और रामायण में वर्णित भगवान राम का मर्यादा पुरुषोत्तम का स्वरूप हर व्यक्ति के लिए अनुकरणीय है.
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