पुस्तक 'भारत के विभाजन के साक्षी' का विमोचन करते हुए भागवत ने यह भी कहा कि भारत की पारंपरिक विचारधारा का सार सबको साथ लेकर चलना है, खुद को सही और दूसरों को गलत मानना नहीं.
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नोएडा: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने गुरुवार को एक बार फिर देश के बंटवारे का मुद्दा उठाया है. उन्होंने कहा कि भारत के विभाजन की पीड़ा का समाधान विभाजन को निरस्त करना ही है. उन्होंने कहा कि दोबारा देश का विभाजन नहीं होगा.
पुस्तक 'भारत के विभाजन के साक्षी' का विमोचन करते हुए भागवत ने यह भी कहा कि भारत की पारंपरिक विचारधारा का सार सबको साथ लेकर चलना है, खुद को सही और दूसरों को गलत मानना नहीं. RSS प्रमुख मोहन भागवत ने पुस्तक के लोकार्पण समारोह में कहा कि देश का बंटवारा कोई राजनीति का विषय नहीं है ये हमारे अस्तित्व का प्रश्न है. देश के विभाजन के लिए तात्कालीन परिस्थितियों से ज्यादा ब्रिटिश सरकार और इस्लामी आक्रमण जिम्मेदार थे.
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भागवत ने कहा, इसके विपरीत, इस्लामी आक्रांताओं की सोच यह थी कि वे खुद को सही और दूसरों को गलत मानते थे. अतीत में संघर्ष का मुख्य कारण यही था. अंग्रेजों की भी यही सोच थी, उन्होंने 1857 के विद्रोह के बाद हिन्दुओं और मुस्लिमों के बीच अलगाव को बढ़ाया.'
उन्होंने कहा, 'लेकिन यह 1947 का नहीं बल्कि 2021 का भारत है. विभाजन एक बार हो गया, वह दोबारा नहीं होगा. जो इसके उलट सोच रखते हैं वे खुद बर्बाद हो जाएंगे.' आरएसएस की ओर से जारी एक बयान में मुताबिक, भागवत ने कहा, 'भारत के विभाजन की पीड़ा का समाधान विभाजन को निरस्त करना ही है.'
(इनपुट- भाषा)
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