What is the Senior Citizens Act 2007: आज दुनियाभर में वर्ल्ड सीनियर सिटीजन डे मनाया जा रहा है. इस मौके पर आज हम आपको बताएंगे कि भारत में बुजुर्गों के अधिकारों की हिफाजत के लिए क्या कानून है और ये कानून उन्हें कैसे ताकतवर और पावरफुल बनाता है.
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World Senior Citizens Day 2022: एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में बुजुर्गों की आबादी फिलहाल 13.8 करोड़ है और आए दिन उनकी आबादी बढ़ रही है. वहीं उनके अधिकारों की हिफाजत के लिए कई कानून बनाए हैं और हुकूमत की तरफ से कई जोयनाए चलाई जा रही हैं. ऐसा ही एक कानून है- सीनियर सिटीजन एक्ट 2007, जो भारत में बुजुर्गों के अधिकारों की हिफाजत करता है और उन्हें ताकतवर बनाता है.
तो फिर आइए जानते हैं आखिर ये सीनियर सिटीजन एक्ट क्या है, इसमें कौन-कौन से लोग आते हैं और जरूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल कब और कैसे किया जा सकता है...
किसी भी आदमी को बुढ़ापे के आलम में दूसरे के सहारे की जरूरत पड़ जाती है. ऐसे में उनके बच्चों और उनके करीबी रिश्तेदारों से ये उम्मीद की जाती है कि वह बुजुर्गों की देखभाल करें, उन्हें बनियादी सुविधाएं दें और उनकी जरूरतों को पूरी करें. तो अब कोई शख्स अपने बुजुर्ग मां-बाप की जरूरतों को पूरा नहीं करता है तो सीनियर सिटीजन एक्ट 2007 का इस्तेमाल किया जा सकता है. इस एक्ट के तहत उन्हें आर्थिक रूप से मजबूती, मेडिकल सिक्योरिटी, जरूरी खर्च और प्रोटेक्शन देने के लिए कानून लाया गया. ये कानून साल 2007 में लाया गया था.
जिन लोगों की उम्र 60 साल या उससे ज्यादा है, वे सीनियर सिटीजन की कैटेगरी में आते हैं. इसमें जन्म देने वाले माता-पिता, गोद लेने वाले पेरेंट्स और सौतेले मां-बाप भी शामिल हैं. अब ऐसे बुजुर्ग जो अपनी संपत्ति से आमदनी से अपना खर्च नहीं उठा पा रहे हैं तो ऐसी सूरते हाल में सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत बच्चों पर मेंटेनेंस का दावा किया जा सकता है. लेकिन इस कानून के जरिए किसी नाबालिक पर मेंटेनेंस का दावा नहीं किया जा सकता है.
अब किसी बुजुग्र के बच्चे नहीं हैं तो वह मेंटेनेंस के लिए दावा पेश कर सकते हैं. अगर किसी बुजुर्ग के बच्चे नहीं हैं और उनके करीबी रिश्तेदार उनकी सपंत्ति के वारिस हैं या वह बुजुर्ग की संपत्ति इस्तेमाल कर रहे हैं तो ये रिश्तेदार बुजुर्ग के मेंटेनेंसे के जिम्मेदार होंगे.
बुजुर्ग को मेंटेनेंस का दावा करने के लिए SDO के पास शिकायत करने पडे़गी. इस बात ध्यान रखा जाए कि SDO के पास अपनी लिखित शिकायत लेकर ही जाएं, जिनसे मेंटेनेंस लेना है, उनका नाम, एड्रेस और सारी डिटेल शिकायत में लिखित होनी चाहिए. शिकायत सुनने के बाद SDO बच्चों या रिश्तेदारों को एक नोटिस भेजकर बुलाएगा. सुनवाई और गवाही होगी। इसके बाद बच्चों या रिश्तेदारों को मेंटेनेंस का आदेश दिया जा सकता है.
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