Shoot At Sight Order: मणिपुर में विवाद रुकने का नाम नहीं ले रहा है. जिसके बाद अब शूट एट साइट का आदेश दिया गया है. जानिए क्या है मामला और क्यों हो रही है हिंसा?
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Shoot At Sight Order: मणिपुर में विवाद कम होने के नाम नहीं ले रहा है. आदिवासी आंदोलन के दौरान बुधवार को राज्य में हिंसा हुई, जिसकी ज़द में 8 जिले आ चुके हैं. जिसके बाद अब राज्यपाल ने बड़ा फैसला किया है. सिक्योरिटी फोर्स को आदेश दिए गए हैं कि दंगाइयों को देखते ही गोली मार दी जाए. इससे पहले कई इलाकों में धारा 144 लागू की गई थी और इंटरनेट को बंद कर दिया गया था.
आपको जानकारी के लिए बता दें मणिपुर के इस वक्त हालात काफी गंभीर हैं. असम राइफल्स की 34 और सेना की 9 कंपनियों को तैनात किया गया है. इसके अलावा आरपीएफ की पांच टुकड़ियों को मणिपुर भेजा गया है. साढ़े सात हजार लोगों को सुरक्षित जगहो पर ले जाया जा चुका है. कई इलाकों में कर्फ्यू लगाया गया है. वहीं मोबाइल सर्विस को बंद किया गया है. केवल ब्रॉड बैंड सर्विस जारी है.
बता दें मणिपुर में एक कानून है जिसके अनुसार पहाड़ी इलाकों में केवल आदिवासी बस सकते हैं. जो कि राज्य का 90 फीसद इलाका है. मणिपुरमें मैतेई समुदाय की तादाद 53 फीसद है, वह आदिवासी ना होने के कारण केवल घाटी में बसे हैं. वहीं 40 फीसद आदिवासी जिसमें नागा और कुकी समुदाय आते हैं वह पहाड़ी इलाकों में बसे हुए हैं. क्योंकि मैतेई को अनुसूचित जाति का दर्जा नहीं मिला है वह घाटी में नहीं बस सकते. वहीं नागा और कुकी पहाड़ और घाटी दोनों में रह सकते हैं. यही कारण है मैतई ने अनुसूचित जाति का दर्जा देने की मांग की थी.
इस बवाल के शुरू होने से पहले मणिपुर हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एमवी मुरलीधरन ने एक आदेश दिया, जिसमें राज्य सरकार से कहा गया क मैतई समुदाय को भी अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने को लेकर विचार करे. इस दर्जे की मांग उठाने वाले संगठन का कहना है कि ये केवल नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का मुद्दा नहीं है बल्कि जमीन संस्कृति और पहटान का मसला है.