गर्भवती महिलाओं को नौकरी पर नहीं रखेगा ये सरकारी बैंक; फैसले की हो रही आलोचना
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गर्भवती महिलाओं को नौकरी पर नहीं रखेगा ये सरकारी बैंक; फैसले की हो रही आलोचना

इससे पहले जनवरी में, देश के सबसे बड़े बैंक  एसबीआई (SBI) ने नए नियम बनाए थे, जिसमें कहा गया था कि तीन महीने से अधिक की गर्भावस्था वाली महिला उम्मीदवार को "अस्थायी रूप से अयोग्य" (temporarily unfit) माना जाएगा 

अलामती तस्वीर

नई दिल्लीः भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के एक अन्य बैंक, इंडियन बैंक (Indian Bank) ने तीन माह की गर्भवर्ती महिलाओं को बैंक की नौकरी के लिए ‘अस्थायी रूप से अनफिट’ (temporarily unfit) करार दिया है. हालांकि, बैंक के इस कदम की विभिन्न संगठनों ने कड़ी आलोचना की है. बैंक के इस कदम की कई राजनीतिक दलों के साथ महिला संगठनों ने मजम्मत किया है. वहीं सोशल मीडिया पर इस खबर के वायरल होने के बाद आम लोग भी बैंक के इस नियम की आलोचना कर रहे हैं. 
इससे पहले जनवरी में, देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई (SBI) ने नए नियम बनाए थे, जिसमें कहा गया था कि तीन महीने से अधिक की गर्भावस्था वाली महिला उम्मीदवार को "अस्थायी रूप से अयोग्य" (temporarily unfit) माना जाएगा और प्रसव के बाद चार महीने के भीतर बैंक में शामिल हो सकती है.  विभिन्न आलोचना के बाद, एसबीआई ने गर्भवती महिलाओं की भर्ती पर संशोधित दिशानिर्देशों को निलंबित कर दिया था. 

क्या है बैंक का नियम ? 
बैंक ने हाल में किसी उम्मीदवार को नौकरी में लेने के लिए शारीरिक स्वास्थ्य से संबंधित दिशानिर्देश और मापदंड तय किए हैं. बैंक के मुताबिक, नौकरी के लिए चयनित महिला की डिलिवरी के छह सप्ताह बाद फिर जांच कराई जाएगी और उसके बाद ही उसे नौकरी पर आने की इजाजत दी जाएगी. दिशानिर्देश में कहा गया है कि अगर किसी महिला उम्मीदवार की स्वास्थ्य जांच में पाया जाता है कि वह 12 सप्ताह की गर्भवती है, तो उसे नौकरी से जुड़ने के लिए अयोग्य माना जाएगा. डिलिवरी के छह सप्ताह बाद महिला की फिर जांच होगी और उसके बाद उसे नौकरी पर लिया जाएगा. 

फैसले को बदलने की मांग 
ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वूमंस एसोसिएशन (एआईडीडब्ल्यूए) ने इंडियन बैंक के महिला विरोध रवैये की कड़ी आलोचना की है. ऑल इंडिया वर्किंग वूमन फोरम ने भी इस फैसले को महिला विरोधी बताते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को चिट्ठी लिखी है. वाम दलों ने भी बैंक के इस कदम की तीखी आलोचना की है और इस फैसले को बदलने की मांग की है.

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