राजस्थान में आसान नहीं है नेतृत्व परिवर्तन की राह; 56 विधायक डाल सकते हैं अड़ंगा
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राजस्थान में आसान नहीं है नेतृत्व परिवर्तन की राह; 56 विधायक डाल सकते हैं अड़ंगा

Congress Leadership in Rajasthan: करीब 56 विधायक अशोक गहलोत के खासमखास मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर पहुंचे है. उन्होंने अल्टीमेटम दिया है कि अगर बागी गुट में से किसी को मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो वे सभी सामूहिक तौर पर इस्तीफा दे देंगे. 

सचिन पायलट

जयपुरः राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष बनने पर उन्हें सीएम की कुर्सी छोड़नी होगी. वहीं, उनकी जगह पर सचिन पायलट (Sachin Pilot) को राजस्थान की कमान सौंपे जाने की संभावना है. ऐसे में लगभग चार साल के इंतजार के बाद सचिन पायलट के निर्वाचन क्षेत्र टोंक में कांग्रेसियों और अन्य लोगों में उम्मीद जगी है कि उन्हें पायलट को राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में देखने का लंबा इंतजार बहुत जल्द खत्म हो जाएगा. 
वहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृहनगर जोधपुर में कई लोग और उनके कुछ विधायक चाहते हैं कि कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर पदोन्नत होने पर भी गहलोत मुख्यमंत्री पद पर बने रहें. वहीं, इतवार को लगभग 56 विधायकों ने प्रस्ताव पास किया है कि  2020 में पायलट के बगावत के समय उनके साथ जो विधायक थे उन बागी विधायको में से किसी को अगर मुख्यमंत्री बनाया गया, तो विधायक सामूहिक इस्तीफ़ा दे देंगे. ये गहलोत गुट के विधायक बताए जा रहे हैं. 

56 विधायकों में ये हैं शामिल 
विधायक दीपचंद खेरिया, जेपी चंदेलिया,नगराज मीणा, संयम लोढ़ा, लक्ष्मण मीणा, अर्जुन बामणिया,महेंद्रजीत मालवीय, विनोद चौधरी ,चेतन डूडी ,रफीक खान,आलोक बेनीवाल, गोपाल मीणा,दानिश अबरार,पदमाराम मेघवाल, अमीन खान, मंजू मेघवाल, महेंद्र विश्नोई, बाबु लाल नागर, अमित चाचान, गंगा देवी, प्रीति शक्तावत, महादेव सिंह खंडेला,राजेन्द्र पारीक, मंत्री सुभाष गर्ग, भंवर सिंह भाटी, महेश जोशी, ममता भूपेश, गोविंद राम मेघवाल, राम लाल जाट, शकुंतला रावत, अशोक चांदना, सालेह मोहम्मद,भजन लाल जाटव, बी.डी कल्ला, महेंद्र चौधरी, कांति मीणा, रामलाल जाट मंत्री उदयलाल आंजना, मंत्री लाल चंद कटारिया और मंत्री टीकाराम जुली सभी शांति धारीवाल के आवास पर पहुंचे हैं. 

पायलट न सिर्फ गुर्जरों बल्कि सभी ‘36 कौम’ में स्वीकार्य नेता है
पायलट ने साल 2018 में टोंक सीट पर 54159 वोटों के भारी अंतर से जीत हासिल की थी और वसुंधरा राजे सरकार में मंत्री रहे भाजपा के यूनुस खान को हराया था. टोंक के एक नेता ने कहा कि पायलट न केवल गुर्जरों बल्कि सभी ‘36 कौम’ में स्वीकार्य नेता है.हालांकि, दिसंबर 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के तुरंत बाद मुख्यमंत्री बनने के लिए गहलोत और पायलट आमने-सामने आ गए थे. लेकिन पार्टी ने गहलोत को तीसरी बार मुख्यमंत्री बताया और पायलट को उपमुख्यमंत्री के पद से संतोष करना पड़ा. जुलाई 2020 में सचिन पायलट ने पार्टी के 18 विधायकों के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी. एक महीने तक चला राजनीतिक संकट पार्टी नेता राहुल गांधी के दखल के बाद खत्म हुआ था.

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