तीन मुस्लिम दोस्तों ने मिलकर हिंदू बुज़ुर्ग का श्मशान घाट में किया अंतिम संस्कार
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तीन मुस्लिम दोस्तों ने मिलकर हिंदू बुज़ुर्ग का श्मशान घाट में किया अंतिम संस्कार

मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने समाज को संदेश दिया कि इंसान ही इंसान के काम आता है. आज के इस दौर में हिन्दू-मुस्लिम मुद्दे पर भेदभाव पैदा कराकर कुछ लोग इसे राजनीतिक हथियार बनाकर फायदा उठाने में ही जुटे रहते हैं.

तीन मुस्लिम दोस्तों ने मिलकर हिंदू बुज़ुर्ग का श्मशान घाट में किया अंतिम संस्कार

सिलचर/शरीफ उद्दीन अहमद: असम के सिलचर में हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे की एक बड़ी मिसाल सामने आई है. यहां पर तीन मुस्लिम दोस्तों ने अकेले गुजर-बसर कर रहे बुजुर्ग की मौत होने पर उनका हिन्दू रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार करते हुए मुखाग्नि दी. जिसके गवाह वहां मौजूद हिन्दू समाज के लोग रहे. जिन्होंने मुस्लिम नौजवानों के इस कदम की तारीफ की.

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सिलचर में मधुरबंद के रहने वाले हिलाल उद्दीन के घर में 55 साल के हिन्दू बुजुर्ग सनद पिछले दस साल से किराए पर रहते थे. जो घर बनाने वाले मिस्त्री का काम करते थे. लंबे समय से बीमार चल रहे बुजुर्ग सनद की हालत अचानक ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें सिलचर चिकित्सा महाविद्यालय में लाया गया, जहां उनकी मौत हो गई.

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मकान के मालिक हिलाल उद्दीन ने मुस्लिम धर्म का होने के बावजूद भाईचारे की मिसाल पेश की और अपने दो मुस्लिम दोस्तों इफ्तेशाम मजूमदार और मासूम मजूमदार के साथ मिलकर सिलचर श्मशान घाट पर बुजुर्ग सनद का हिन्दू रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार करते हुए मुखाग्नि दी.

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मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने समाज को संदेश दिया कि इंसान ही इंसान के काम आता है. आज के इस दौर में हिन्दू-मुस्लिम मुद्दे पर भेदभाव पैदा कराकर कुछ लोग इसे राजनीतिक हथियार बनाकर फायदा उठाने में ही जुटे रहते हैं. ऐसे हालात में हिलाल उद्दीन ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे को बरकरार रख एक एकता की तस्वीर लोगों को दिखाई है.

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