नई दिल्ली: अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन (JOE Biden) आज US के 46वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने जा रहे हैं. उनके साथ भारतीय मूल की कमला (Kamala Harris) भी उपराष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेंगी. बाइडेन को देश के चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स शपथ दिलाएंगे और इसके थोड़ी देर बाद भारतीय मूल की कमला हैरिस को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सोनिया सोटोमेयर शपथ दिलाएंगी.
बता दें कि सोटोमेयर ने ही बाइडेन को 2013 में उपराष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई थी. जो बाइडेन के लिए आज का दिन बहुत अहम है क्योंकि वो दुनिया के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं लेकिन एक ऐसा भी वक्त था जब बाइडेन का खुदकुशी जैसा कदम भी आसान लगने लगा था. तो आइए हम उनकी ज़िंदगी के कुछ पुराने दिनों से आपको रूबरू कराते हैं.
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खबरों के मुताबिक जो बाइडेन का 50 साल का सपना था कि वो अमेरिका के राष्ट्रपति बनें. 20 नवंबर 1942 को पेनसिल्वेनिया के स्क्रैटन में पैदा हुए जो बाइडेन ने अपने संस्मरण 'प्रॉमिसेज टू कीप' में लिाखा है कि उन्हें सियासत की शिक्षा अपने दादा से मिली है.
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साल 1972 में बाइडेन ने अमेरिकी सीनेट में अपनी जगह बनाई थी. उस समय वो 5वें सबसे कम उम्र के सीनेट थे लेकिन इसी साल उनके साथ एक भयानक हादसा भी पेश आया कि उनकी पत्नि और नवाजात बेटी नाओमी की एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी. इस हादसे में उनके बेटे ब्यू और हंटर भी बुरी तरह से ज़ख्मी हो गए थे.
ये वो वक्त था जब वाइडेन अपनी सारी महत्वकाक्षाओं को खो चुके थे. उन्होंने यह भी कहा था कि मैं उस वक्त ये समझता था कि कैसे कोई खुदकुशी करने का फैसला करता होगा लेकिन बाइडेन दोबारा उठकर खड़े हुए और अपने बच्चों को मां-बाप दोनों का प्यार देते हुए सीनेट की ज़िम्मेदारी भी निभाई.
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1987 में उन्होंने पहली बार राष्ट्रपति पद के लिए कैम्पेनिंग शुरू की लेकिन ये कैम्पेन ज्यादा लंबी नहीं चल सकी. उन पर ब्रिटिश राजनेता की स्पीच चुराने का आरोप लगा. अगले साल 1988 में जो बाइडेन को संगीन दिमागी बीमारी का सामान करना पड़ा. जिसमें उनकी जान जाते जाते बची.
डॉक्टरों ने तो यहां तक कहा दिया था कि व्हाइट हाउस कैम्पेन उनकी जान ले सकता था. 2008 में भी उन्होंने पार्टी में नॉमिनेशन के लिए कैम्पेन किया, लेकिन ज्यादा सपोर्ट नहीं मिलने की वजह से इरादा बदल दिया. अंत में जब ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति बनकर आए तब उन्हें ओबामा का राइट हैंड बनने का मौका मिला.
साल 2015 में उनके बेटे ब्यू की कैंसर से मौत हो गई. वहीं उनका एक और बेटा हंटर ड्रग्स की लत का शिकार हो गया था. हंटर को यूएस नेवी से कोकीन का इस्तेमाल करने के चलते निकाल दिया गया था.
जिससे उनका राजनीतिक करियर भी ठहराव की ओर चला गया. उसके पांच साल बाद बाइडेन ने वापस राजनीतिक करियर लौटने की हिम्मत जुटाई. यही वजह है कि उन्होंने भाषणों के दौरान अपने सपोर्टर्स से हेल्थकेयर और क्लाइमेट चेंज को लेकर कई वादे किए.
इससे पहले बाइडेन ओबामा के शासन में उप-राष्ट्रपति रहे, इसके पहले वो 1973 से लेकर 2009 तक सीनेटर रहे. सीनेटर के रिकॉर्ड्स के मुताबिक इस दौरान उनकी सैलरी 42,500 डॉलर सालाना से बढ़कर 174,000 डॉलर सालाना हो गई, जब वो उप-राष्ट्रपति बने तक उनकी सैलरी बढकर 230,000 डॉलर सालान पहुंच गई.
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