Azadi Ka Amrit Mahotsav: आजादी के 75 साल की 75 कहानियों में आज हम आपको बताएंगे एक ऐसे शूरवीर की कहानी. जिन्होंने अंग्रेजों के घर में धुस कर लिया था जलियावाला बाग हत्या का बदला. यह बात है 1919 की जब कांग्रेस के सत्य पाल और सैफुद्दीन किचलू को अंग्रेजों द्वारा अरेस्ट करने के बाद पंजाब के अमृतसर में हजारों की तादाद में लोग शांति पूर्ण तरीके से प्रोटेस्ट करने के लिए जलियांवाला बाग में जमा हुए थे. लेकिन जनरल डायर के आदेश पर उन तमाम लोगों को मार दिया गया था. इस घटना को जलियांवाला बाग हत्याकांड का नाम दिया गया. जिसके गवाह सरदार उधम सिंह थे. इस घटना को देखने के बाद सरदार उधम सिंह आजादी की लड़ाई में कूद पड़ते हैं. और जनरल डायर को जान से मारने की कसम खाते हैं. और फिर चंदा इकठ्ठा करके देश से बाहर चले जाते हैं. लेकिन लंदन पहुंचने से पहले ही ब्रेन हैमरेज के चलते जनरल डायर की मौत हो चुकी थी. इसलिए उन्होंने फिर Michael O'Dwyer को मारने का फैसला किया और फिर 13 मार्च 1940 को रॉयल सेंट्रल एशियन सोसायटी की लंदन के हॉल में स्पीच के दौरान सरदार उधम सिंह ने Michael O'Dwyer को दो गोलियां मारी जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई. तो इस तरह सरदार उधम सिंह ने जालियावाला हत्या कांड के गुनाहगारों को उनकी सजा दे दी और हमेशा के लिए अपना नाम सुनहरे अक्षरों में लिखवाकर खूशी खूशी फांसी पर चढ़ गए