Cyber Crime in india: आपमें से ज्यादातर लोगों ने Netflix की वेबसीरीज जामताड़ा देखी होगी, ये एक सच्ची कहानी पर आधारित है. जो झारखंड के जामताड़ा जिले की है जहां के बच्चें जिसने साइबर क्राइम के जरिए पूरे देश में जामताड़ा को बदनाम कर दिया, या कह लिजिए एक तरह से फेमस कर दिया, जामताड़ा के बच्चों ने लाखों लोगों को मोबाइल के जरिए करोड़ों का चुना लगाया, उसमें कई बड़े अफसर तो कई नेताओं को भी अपने पैसे से हाथ धोना पड़ा. उन तमाम लोगों में हो सकता है कि आपका भी नाम शामिल हो इस वेबसीरीज को रीलीज हुए 3 साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है लेकिन देश में अब भी साइबर क्राइम को रोकने के लिए कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा है, और ये सब बातें में यूं ही नहीं कह रहा हूं इन तमाम बाते के पीछे एक रिपोर्ट है जिसमें बताया गया है कि पिछले 3 सालों में साइबर क्राइम के 16 लाख मामले देश भर में सामने आएं हैं वहीं पिछले 2 सालों में साइबर क्राइम के मामले 200 फीसद तक बढ़े हैं.आम लोगों के अलावा देश की बड़ी बड़ी कंपनियां जैसे Tech mehindra, oil india limited, Aiims, भी इस साइबर क्राइम का शिकार हो चुकी है और कई करोड़ लोगों का डेटा साइबर ठगों के हाथों गवां चुकी है. NCRB यानी National Crime Records Bureau की माने तो साल 2021 में ही अपने देश में 53 हजार से ज्यादा मामले इस साइबर क्राइम के देखे जा चुके हैं, जिसमें सबसे ज्यादा तेलंगाना राज्य से सामने आएं है.. इसके अलावा महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तरप्रदेश, का नाम भी टॉप राज्यों में शामिल हैं...लेकिन इतना कुछ होने के बावजूद सरकार साइबर क्राइम को लेकर सख्त रूप नहीं अपना रही है. आपको जानकर हैरानी होगी कि उत्तरप्रदेश जैसे बड़े राज्य में सिर्फ 2 साइबर पुलिस स्टेशन है, 75 जिले और सिर्फ 2 पुलिस स्टेशन, और पूरे देश में मात्र 202 इतने बड़े देश में सिर्फ 202 पुलिस स्टेशन अगर अनुपात निकाला जाए तो 10 से भी कम... ऐसे में साइबर क्राइम पर रोक लगाना अपने आप में चुनौती है...इसके अलावा राज्यों को जो फंड मिला वह उसका सही से इस्तेमाल भी नहीं कर सकी, जिसके बाद सरकार को फंड वापस लेने पड़ा, साल 2018-19 की बात करें तो सरकार ने साइबर क्राइम से लड़ने के लिए राज्य सरकार को 785 करोड़ रूपये का फंड दिया था वहीं साल 2019-20 में ये फंड 780 करोड़ हो गया..लेकिन राज्यों ने इसका सही से इस्तेमाल नहीं कर पाई, जिसके बाद सरकार ने फंड़ को घटा दिया औऱ साल 2020-21 में ये फंड मात्र 103 करोड़ का ही रहा... जहां एक तरफ क्राइम बढ़ रहा है वहीं फंड को कम कर दिया गया...वहीं Low Conviction rate भी साइबर क्राइम को बढ़ावा देने का एक खास वजह है, इन मामलों में अपराधी को सजा भी नहीं होती और सबूत के अभाव में ज्यादातर लोगों को छोड़ दिया जाता है.