What is the story behind McDonald's?: दुनिया भर में सात करोड़ लोग रोज़ाना मैक्डॉनल्ड्स के बर्गर खाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि, मैकडॉनल्ड्स की शुरुआत एक धोखे से हुई थी. दरअसल बात 1954 की है. जब मिल्कशेक मशीन बेचने वाला 52 साल का एक सेल्समैन 'रे क्रॉक' कैलिफ़ोर्निया के एक कैफ़े में मशीन बेचने पहुंचा. तो उसने रेस्टोरेंट चलाने वाले मैक्डॉनल्ड भाइयों से पूछा कि, वो खाने का इतना सामान इतनी जल्दी कैसे तैयार कर लेते है? इस पर रेस्टोरेंट चलाने वाले 'डिक और मैक मेक्डॉनल्ड' भाईयों ने बताया कि, उन्होंने इसके लिए खास सिस्टम बनाया है. जिस पर रे क्रॉक ने कहा कि, वो उन दोनों के साथ मिलकर एक कंपनी बनायेंगे और इस मैक्डॉनल्ड्स को दुनिया भर में पहुंचाएंगे. जिस पर, 'डिक और मैक मेक्डॉनल्ड' दोनों भाई तैयार हो गए. लेकिन बाद में, रे क्रॉक ने दोनों भाइयों से कंपनी हथिया ली और खुद मैक्डॉनल्ड्स के मालिक बन बैठे. आखिरकार सेटलमेंट हुआ, और दोनों भाइयों को एक-एक मिलियन डॉलर देकर पूरी कंपनी खरीद ली. लेकिन एक और शर्त थी कि मैकडॉनल्ड्स की कुल कमाई का 0.5 प्रतिशत, इन दोनों भाइयों को बतौर रॉयल्टी मिलेगा. क्योंकि ये पूरा सिस्टम उन दोनों भाइयों की दिमाग की उपज था. हालांकि, उस वक्त तैयार किए गए लिखित करार में ये शर्त नहीं थी. रे क्रॉक ने दोनों भाइयों से कहा कि, आप साइन कर दीजिए. मैं कॉन्ट्रैक्ट में इसे जुड़वा दूंगा, भरोसा रखिए. बाद में क्रॉक इससे पूरी तरह मुकर गए. यहां तक कि क्रॉक ने खुद को इस कंपनी का फाउंडर बताना शुरू कर दिया. काफी अरसे बाद, मैक्डॉनल्ड्स कंपनी ने अपने असली फाउंडर्स, मैक्डॉनल्ड्स को इसका क्रेडिट दिया। लेकिन रॉयल्टी की ये रकम दोनों भाइयों को कभी नसीब नहीं हुई. और लगभग 100 मिलियन डॉलर सालाना के घाटे ने, मैक मेकडॉनल्ड्स को दिल का मरीज़ बना दिया और वे कुछ समय बाद चल बसे