क्या आप जानते हैं कि काले नमक को काला क्यों कहा जाता है, अगर नहीं, तो इस वीडियो को आख़िर तक ज़रूर देखिएगा, क्योंकि इस वीडियो में हम आपको काले नमक का नाम काला नमक पड़ने के पीछे का राज़ और उसके फ़ायदे बताएंगे, क्या आपके मन में कभी ये सवाल आया कि काला नमक तो गुलाबी रंग का होता है तो फिर उसे काला नमक क्यों कहा जाता है? दरअसल इस सवाल का जवाब काले नमक को बनाने के तरीक़े में छिपा है. काला नमक समंदर के पानी या किसी पहाड़ से हमें क़ुदरती तौर पर नहीं मिलता है इसे एक ख़ास तरीक़े से बनाया जाता है. इसे भट्टी के अंदर एक केमिकल अमल के ज़रिए बनाया जाता है. नमक बनाने वाली कंपनियां ये दहकती हुई भट्टियां पहले से ही बना कर रखती हैं, लेकिन जिस ख़ास तरह के मटके में काला नमक बनाया जाता है इन मटकों को दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता है. ये घड़े मिट्टी और रेत को मिक्स करके तैयार किए जाते हैं, फिर पहले इन घड़ों को भट्टी में डालकर पका लिया जाता है. इन मटकों में पहले खड़ा नमक, फिर छोटी हरड़ , बड़ी हरड़, आंवला और बबूल की छाल को पीसकर बनाया गया ख़ास तरह का पाउडर डाला जाता है. काले नमक को काला बनाने का काम यही ख़ास पाउडर करता है. फिर इन मटकों को 12-13 घंटों के लिए भट्टी में पकने के लिए छोड़ दिया जाता है. जब इस मटके को बाहर निकाला जाता है तो ये पूरी तरह से पत्थर जैसा हो जाता है. फिर इसे ठंडा होने के लिए छोड़ दिया जाता है. ठंडा होने के बाद इसे मटके से अलग कर लिया जाता है. आपको बता दें कि ये नमक उन मटकों से क्रिस्टल की शक्ल में बाहर निकलता है तो ये क्रिस्टल ब्लैक कलर के दिखते हैं. इसलिए इसे काला नमक कहा जाने लगा..जब इन काले क्रिस्टल को पीस कर पाउडर बनाया जाता है तो से गुलाबी रंग का दिखने लगता है.