साइबर जासूसों के निशाने पर भारत के कई संवेदनशील संगठन, चीनी सेना की शह पर हो रहा साइबर हमला
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साइबर जासूसों के निशाने पर भारत के कई संवेदनशील संगठन, चीनी सेना की शह पर हो रहा साइबर हमला

भारत पर इस तरह के साइबर हमले को लेकर यूनाइटेड स्टेट्स के मुख्यालय के तहत आने वाले रिकॉर्डेड फ्यूचर ग्रुप कंपनी की जानिब से यह खबर शाया की गई थी. साइबर थ्रेट्स इंटेलिजेंस कंपनी ने जुमेरात को हुकूमते हिंद को इससे आगाह किया है.

अलामती तस्वीर

नई दिल्लीः पड़ोसी मुल्क चीन हिन्दुस्तान को नुकसान पहुंचाने का कोई मौका नहीं गंवाना चाहता है. वह हमारे मुल्क को कमजोर करने के लिए तरह-तरह के नए तरीके तलाश करता रहता है. ताजा मामला मुल्क के कुछ रणनीतिक और सुरक्षा से जुड़े बेहद हस्सास संगठनों और संस्थानों पर साइबर हमले का है. चीनी साइबर सैनिकों की एक मुस्तबा इकाई ने भारतीय दूरसंचार कंपनियों, सरकारी एजेंसियों और कई रक्षा एजेंसियों को निशाना बनाया है। एक साइबर थ्रेट्स इंटेलिजेंस कंपनी ने हुकूमते हिंद को इससे आगाह किया है. भारत पर इस तरह के साइबर हमले को लेकर यूनाइटेड स्टेट्स के मुख्यालय के तहत आने वाले रिकॉर्डेड फ्यूचर की जानिब से यह खबर शाया की गई थी. 

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साइबर हमले में चीनी सेना की एक यूनिट का हाथ 
साइबर सिक्यूरिटी कंपनी ने दावा किया है कि चीन की जासूसी ऑपरेशन्स के उनके पास सबूत भी दस्तेयाब हैं. इसके साथ ही कंपनी ने कहा है कि चीन के इस ऑपरेशन्स में वहां की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के एक विशिष्ट इकाई का भी हाथ रहा है. इससे पहले भी इस कंपनी ने इस साल की शुरुआत में बिजली और बंदरगाह क्षेत्रों में भारत के अहम बुनियादी ढांचे को टारगेट करने वाले चीनी साइबर हमले की खबर और उसके सबूत के बारे में आगाह किया था. मार्च में साइबर हमला करने वाली चीनी सेना के इस यूनिट को रेडइको के नाम से जाना गया था जबकि नए समूह की पहचान रेडफॉक्सट्रोट के तौर पर की गई है. 

6 महीने में कई एजेंसियों को किया टार्गेट 
रिकॉर्डेड फ्यूचर के इंसिक्ट ग्रुप ने चीनी सरकार के जरिए प्रायोजित एक संदिग्ध समूह की पहचान की, जिसे रेडफॉक्सट्रोट के रूप में ट्रैक किया जा रहा है। इसने 2020 और 2021 के दौरान कई भारतीय संगठनों को टारगेट किया है। रिकॉर्डेड फ्यूचर के मुताबिक भारत के अंदर खास तौर पर गुजिश्ता 6 महीनों में दो दूरसंचार संगठनों, तीन रक्षा कॉन्टैक्टर्स और कई दीगर सरकारी और प्राइवेट सेक्टर के संगठनों को टारगेट किया गया है. चीन और चीन से जुड़े साइबर ऑपरेशन को भारत में लगातार खतरे के रूप में देखा जा रहा है। इन चीनी हमलों में एनटीपीसी के प्लांट्स भी शामिल रहे हैं।

सइबर अटैक का पता लगाना काफी मुश्किल 
साइबर अपराध और हमलों के एक्सपर्ट बताते हैं कि दो मुल्कों के बीच के सइबर युद्ध दो तरीके से लड़े जाते हैं. पहली तरह का ऑपरेशन वह होता है जिसमें एक मुल्क दूसरे मुल्क के संवेदनशील संगठनों और एजेंसियों पर साइबर हमला कर उसे नुकसान पहुंचाना चाहता है. दूसरे तरह के हमले में वह किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते बल्कि इसमें जासूसी करते हैं. वह दूसरे मुल्कों की रक्षा और रणनीतिक सूचनाओं और डाटा की चोरी करते हैं. हालांकि इन दोनों तरह के साइबर ऑपरेशन का पता लगाना काफी मुश्किल काम होता है. 

भारत ने इस दावे पर कोई टिप्पणी नहीं की है 
इंसिक्ट के एक प्रतिनिधी ने बताया कि यहां यह गौर करने वाली बात है कि खास तौर पर यह हमले भारत और चीन के बीच बढ़े तनाव के दौरान किए गए थे. रिकॉर्डेड फ्यूचर ने कहा है कि हमले की यह सूचना नेटवर्क ट्रैफिक के विश्लेषण, हमलावरों के जरिए इस्तेमाल किए गए मैलवेयर के फूटप्रिंट, डोमेन रजिस्ट्रेशन के रिकॉर्ड और संभावित लक्ष्यों से डेटा ट्रांसमिसिंग करने पर मुबनी थे. हालांकि साइबर सिक्यूरिटी कंपनी के इस दावे के बाद भारत के साइबर सुरक्षा प्रतिष्ठान ने इस रिपोर्ट पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. 

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