अशरफ़ ग़नी के अचानक काबुल छोड़ने से सब रणनीति धरी की धरी रह गई: ख़लीलज़ाद
ख़लीलज़ाद ने उन दावों को ख़ारिज कर दिया था कि अमेरिका ने रणनीति के तहत 15 अगस्त को काबुल के राष्ट्रपति भवन में तालिबान को आने दिया था.
नई दिल्ली: अफगानिस्तान पर अमेरिकी वार्ताकार ज़ल्मय ख़लीलज़ाद ने कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी के अचानक काबुल से बाहर निकलने से तालिबान का काबुल में प्रवेश रोकने और राजनीतिक बदलाव के लिए बातचीत करने का एक सौदा नाकाम हो गया.
20 साल की पश्चिमी-हिमायत याफ्ता हुकूमत के खात्मे के बाद से अपने पहले साक्षात्कार में, ज़ल्मय ख़लीलज़ाद ने फाइनेंशियल टाइम्स को बताया कि विद्रोही दो हफ्ता के लिए राजधानी से बाहर रहने के लिए सहमत हुए थे. उन्होंने कहा, 'यहां तक कि आखिर में हमें तालिबानों के साथ (उन्हें) काबुल में प्रवेश नहीं करने के लिए एक समझौता किया था.
रिपोर्ट के मुताबिक, लेकिन गनी 15 अगस्त को भाग गए और तालिबान ने उस दिन पहले से आयोजित बैठक में केंद्रीय कमान के प्रमुख अमेरिकी जनरल फ्रैंक मैकेंजी से पूछा कि क्या अमेरिकी सेना काबुल के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करेगी.
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ख़लीलज़ाद ने कहा, 'और फिर आप जानते हैं कि क्या हुआ, हम जिम्मेदारी नहीं लेने वाले थे. राष्ट्रपति जो बिडेन ने जोर देकर कहा था कि अमेरिकी सैनिक सिर्फ अमेरिकियों और अफगान सहयोगियों को निकालने के लिए काम करेंगे, न कि वाशिंगटन के सबसे लंबे युद्ध को आगे बढ़ाने के लिए. वहीं, खलीलजाद की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर, विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि काबुल में एक पल भी और रुकने का मुतबादिल नहीं था.
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