खिलाड़ियों के रोज़ा रखने पर आमने सामने हुए दो देश: इफ्तार करने की नहीं दी जा रही इजाज़त
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खिलाड़ियों के रोज़ा रखने पर आमने सामने हुए दो देश: इफ्तार करने की नहीं दी जा रही इजाज़त

Ramadan 2023: फ्रांस फुटबॉल फेडरेशन ने मुस्लिम खिलाड़ियों को इफ्तार के लिए समय नहीं देने का फैसला किया है. फेडरेशन की तरफ से कहा गया है कि जिस तरह धर्म के पालन का वक्त होता है, उसी तरह खेल का भी वक्त होता है. 

खिलाड़ियों के रोज़ा रखने पर आमने सामने हुए दो देश: इफ्तार करने की नहीं दी जा रही इजाज़त

Iftar: रमजान का पवित्र महीना चल रहा है. ऐसे में रोजेदारों के साथ अक्सर जगह पर हमदर्दी का इज़हार देखा जाता है. मुस्लिम देशों में तो कर्मचारियों को काम के घंटों में छूट दे दी जाती है. हालांकि फ्रांस से एक हैरान कर देने वाली खबर आई है. वो ये कि फ्रांस की फुटबॉल फेडरेशन ने रेफ्रियों को आदेश दिया है कि रमजान के दौरान मुसलमान खिलाड़ियों को रोज़ा इफ्तार करने की वजह से मैच ना रोका जाए. 

विदेशी न्यूज एजेंसी 'एएफपी' की रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रांस फुटबॉल फेडरेशन के नोटिस में खुलासा हुआ है कि रमजान में इफ्तार की वजह से चल रहे मैच में खलल पड़ रहा था. जिसको देखते हुए केंद्रीय रेफरी आयोग की के चीफ एरिक बोर्गिनी ने कहा कि हर चीज का एक वक्त होता है. खेल खेलने और मज़हब पर अमल करने का भी वक्त होता है.  उन्होंने कहा, 'महासंघ के नोटिस में यह भी आया है कि गैर-पेशेवर लेवल होने वाली मीटिंग्स को भी रोक दिया गया ताकि रोजा रखने वाले खिलाड़ी खुद को हाइड्रेट कर सकें'.

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हालांकि फ्रांस के उलट, इंग्लैंड की प्रीमियर लीग मुस्लिम खिलाड़ियों को इफ्तार करने के लिए खिलाड़ियों को इजाज़त देने का फैसला किया है. इस संबंध में इंग्लैंड प्रीमियर लीग फ्रेंच फुटबॉल फेडरेशन के नियमों का पालन नहीं करती है. इंग्लैंड की तरफ से फैसला लिया गया है कि प्रीमियर लीग के मैचों को रोजे के दौरान रोका जा सकता है. क्योंकि मुसलमान सूरज निकले से सूरज छिपने तक खाना और पानी से दूर रहते हैं.

इस बारे में फुटबॉल क्लब नीस के कोच डिडिएर डगर्ड ने कहा कि टीम में शामिल कई मुस्लिम खिलाड़ियों ने रमजान के पवित्र महीने को बिना किसी परेशानी के मनाया है. उन्होंने कहा कि यह बेहतर होगा कि फ्रांस भी इफ्तार के दौरान ब्रेक की अनुमति दे, लेकिन अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो हम किसी को मजबूर नहीं कर सकते, क्योंकि हम मुस्लिम देश में नहीं हैं और हमें उस देश के नियमों को कुबूल करना होगा.

यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि फ्रांस में मुसलमान दूसरे सबसे बड़े धार्मिक अल्पसंख्यक हैं, एक ऐसा देश जिसकी आबादी 60 मिलियन से ज्यादा है.

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