क्या महसा अमिनी के बहाने ईरान को घेरने के लिए हिजाब आन्दोलन को हवा दे रहा है अमेरिका ?
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क्या महसा अमिनी के बहाने ईरान को घेरने के लिए हिजाब आन्दोलन को हवा दे रहा है अमेरिका ?

Protest against hijab in Iran: महसा अमिनी के बहाने ईरान में महिला अधिकारों को लेकर हो रहे आंदोलन और विश्व समुदाय की आलोचना के बाद ईरान ने कहा है कि अमेरिका इस मामले को नाहक में तूल दे रहा है. वह ईरान को कमजोर करने की साजिश के तहत दंगाईयों को प्रश्रय दे रहा है. 

अलामती तस्वीर

नई दिल्लीः ईरान में पिछले 22 सितंबर को 22 वर्षीय कुर्द महिला महसा अमिनी (Mahsa Amini) की मौत के बाद देश भर में सरकार के मोरल पुलिसिंग के विरोध में विरोध-प्रदर्शन तेज हो गए हैं. महसा अमीनी (Mahsa Amini) को पुलिस ने इसलिए गिरफ्तार कर लिया था कि उसने अपने सर पर हिजाब (Hijab) नहीं लगाया था. हिरासत में ही अमीनी को दिल का दौरा पड़ने से उसकी मौत हो गई थी. इस घटना के बाद एक तरफ जहां ईरान (Iran) की सरकार घरेलू स्तर पर महिलाओं के अधिकारों को लेकर घिरती जा रही है, वहीं उसके खिलाफ विश्व समुदाय ने भी मोर्चा खोल दिया है. ईरान में महिलाओं पर लगी पाबंदियों को लेकर दुनिया भर में ईरान सरकार की आलोचना की जा रही है. पहले से ही कई तरह के आर्थिक प्रतिबंधों को झेल रहे ईरान पर यूरोप और अमेरिका जैसे देश मानवाधिकारों की अवहेलना के नाम पर नए प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है. 

अमेरिका ईरान पर और सख्त करना चाहता है प्रतिबंध 
पिछले हफ्ते, संयुक्त राज्य अमेरिका ने ईरान की नैतिक पुलिस पर प्रतिबंध लगा दिया है. ईरानी महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के आरोपों पर अमेरिका ने कहा था कि महसा अमिनी की मौत के लिए ईरान की मोरल पुलिस जिम्मेदार है. अमेरिका ने ईरान पर नए सिरे से प्रतिबंधों की वकालत की है. उधर, कनाडा ने भी कहा है कि  ईरान की नैतिकता पुलिस महसा अमिनी की मौत की जिम्मेदार है, इसलिए वह जिम्मेदार लोगों पर प्रतिबंध लगाएगा. प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को कहा, “हमने ईरान को बार-बार मानवाधिकारों की अवहेलना करते देखा है, अब हम इसे महसा अमिनी की मौत और विरोध प्रदर्शनों पर कार्रवाई के साथ देखते हैं.’’ जर्मनी ने भी ईरानी राजदूत को बर्लिन में तलब कर तेहरान से अपनी कार्रवाई रोकने और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की अनुमति देने का आग्रह किया है.

देशभर में फैल रहा महिलाओं का विरोध-प्रदर्शन 
उधर, ईरान में भी विरोध-प्रदर्शन लगातार तीव्र होता जा रहा है. अबतक इस प्रदर्शन में 30 से ज्यादा महिलाओं की मौत हो गई है. ईरान से ढेर सारी वीडियोज और तस्वीरें आ रही है, जिसमें महिलाए अपना हिजाब जला रही हैं, उसे उतारकर फेंक रही हैं और अपने बाल काट रही है. तेहरान के विभिन्न हिस्सों में सोमवार की देर रात सड़कों पर “तानाशाह की मौत“ और “खामेनेई की मौत“ के नारे लगाते हुए लोग देखे गए. विरोध देश के 80 शहरों तक फैल गया है. कुर्दिस्तान प्रांत की राजधानी सनंदाज में प्रदर्शनकारियों को इकट्ठा होते हुए दिखाया गया है.

पुरुष महिलाओं के आंदोलन में ले रहे हैं हिस्सा 
हालांकि, अब इस विरोध-प्रदर्शनों में महिलाओं के साथ पुरुष भी हिस्सा ले रहे हैं. एक शिक्षक संघ ने सोमवार को देशभर में अपने शिक्षकों और छात्रों से हड़ताल में हिस्सा लेने की अपील की थी.तबरेज़ विश्वविद्यालय के दंत चिकित्सा संकाय के छात्रों ने, आपातकालीन विभाग को छोड़कर सोमवार को हड़ताल में भाग लिया और काम करने से इनकार कर दिया. ईरान के विश्वविद्यालयों में छात्रों की व्यापक गिरफ्तारी और सुरक्षा बलों के साथ जबरदस्ती मुठभेड़ के विरोध में हमले किए गए हैं. 

सरकार के लिए नहीं है कोई चुनौती 
अमिनी की मौत पर प्रदर्शन सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है, हालांकि इसके बावजूद विश्लेषकों के मुताबिक, ईरान के नेताओं के लिए तत्काल कोई खतरा नहीं दिखता है, क्योंकि ऐसे विरोध-प्रदर्शन ईरान में पूर्व में होते रहे हैं. हालांकि, 2019 के बाद यह पहली बार है, जब इरान में इतने बड़े पैमाने पर सरकार के विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं. 2019 में देश में ईंधन की कीमतों को लेकर विरोध-प्रदर्शन हुए थे, जिसमें लगभग डेढ़ हजार लोग पुलिस कार्रवाई में मारे गए थे. राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने कहा है कि ईरान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है और उन्होंने अमिनी की मौत की जांच के आदेश दिए हैं. 

विरोध को कुर्दों का का बताया जा रहा है आंदोलन 
पश्चिम एशिया के मामलों के विशेषज्ञ प्रोफेसर इकराम हसन बताते हैं कि ये विरोध-प्रदर्शन खासकर कुदों की तरफ से हो रहे हैं. इस विरोध-प्रदर्शन में उनका बड़ा योगदान हैं. ईरान के उत्तर पश्चिम इलाके में लगभग 10 मिलियन तक कुर्दों की आबादी है. यह वह वर्ग है जो सरकार से हमेशा नाराज रहता है और अक्सर ये सरकार के निशाने पर भी होते हैं. यह वर्ग स्वभाव से बाकी इरानियों के मुकाबले थोड़ा उदारवादी है प्रोग्रेसिव है. इनके नेताओं के नटवर्क बाहरी दुनिया के देशों से भी है. ऐसे में एक छोटी-सी घटना, जो ईराननियों के लिए आम है, उसे अब हवा दे दिया गया है. इस मामले में हमेशा से ईरान को कमजोर करने की फिराक में रहने वाले अमेरिका के हाथ में एक मौका आ गया है, जिससे वह ईरान और रईसी सरकार पर दबाव बना सके. 

ईरान अमेरिका पर लगा रहा है देश को अस्थिर करने का आरोप 
तेहरान भी बार-बार इस हिंसक विरोध-प्रदर्शनों के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका को दोषी ठहरा रहा है. ईरान ने यूएस पर देश को अस्थिर करने की कोशिश करने के लिए अशांति का उपयोग करने का आरोप लगाया है. ईरान ने कहा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका दंगाइयों का समर्थन कर रहा है, और इस्लामी देश के शासन को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है. ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनानी ने एक बयान में कहा, “वाशिंगटन हमेशा ईरान की स्थिरता और सुरक्षा को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है, हालांकि यह असफल रहा है.“ अपने इंस्टाग्राम पेज पर, कनानी ने आरोप लगाया संयुक्त राज्य अमेरिका और कुछ यूरोपीय देशों के नेताओं ने “दंगाइयों“ के समर्थन में एक दुखद घटना का दुरुपयोग और “सिस्टम के समर्थन में देश की सड़कों पर उतरी लाखों लोगों की भीड़ की अनदेखी कर रहा है. 
 

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