भारत के साथ व्यापारिक, आर्थिक और राजनीतिक संबंध पर तालिबान नेता ने दिया बड़ा बयान
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भारत के साथ व्यापारिक, आर्थिक और राजनीतिक संबंध पर तालिबान नेता ने दिया बड़ा बयान

स्तानिकजई ने शनिवार को कहा कि हम भारत के साथ अपने व्यापारिक, आर्थिक और राजनीतिक संबंधों को बहुत महत्व देते हैं और उस संबंध को बनाए रखना चाहते हैं.

शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई, वरिष्ठ नेता तालिबान

नई दिल्लीः तालिबान के वरिष्ठ नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई ने भारत को क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण देश बताते हुए कहा है कि तालिबान भारत के साथ अफगानिस्तान के व्यापारिक, आर्थिक और राजनीतिक संबंधों को बनाए रखना चाहता है. स्तानिकजई ने पश्तो भाषा में जारी एक वीडियो संबोधन में कहा कि काबुल में सरकार बनाने के लिए विभिन्न समूहों और राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श चल रहा है, जिसमें ‘‘विभिन्न क्षेत्रों’’ के लोगों का प्रतिनिधित्व होगा. स्तानिकजई ने शनिवार को कहा कि हम भारत के साथ अपने व्यापारिक, आर्थिक और राजनीतिक संबंधों को बहुत महत्व देते हैं और उस संबंध को बनाए रखना चाहते हैं. पाकिस्तानी मीडिया समूह ‘इंडिपेंडेंट उर्दू’ ने स्तानिकजई के हवाले से कहा कि हमें हवाई व्यापार को भी खुला रखने की जरूरत है.

हवाई मार्ग भी बहाल करता चाहता है तालिबान 
तालिबान नेता का इशारा भारत और अफगानिस्तान के बीच हवाई गलियारे की तरफ था जिसे पाकिस्तान द्वारा पारगमन की अनुमति देने से इनकार करने के मद्देनजर दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के लिए कायम किया गया था. स्तानिकजई ने भारत को इस क्षेत्र में एक ‘‘महत्वपूर्ण देश’’ बताया है. स्तानिकजई ने कहा कि पाकिस्तान के जरिये भारत के साथ अफगानिस्तान का व्यापार ‘‘बहुत महत्वपूर्ण’’ है. हालांकि स्तानिकजई ने इस बारे में विस्तार से कुछ नहीं कहा.

सरकार की स्वीकार्यता तालिबान की प्राथमिकता 
तालिबान नेता ने अपने खिताब में पाकिस्तान, चीन और रूस के साथ अफगानिस्तान के संबंधों का भी जिक्र किया है. स्तानिकजई ने कहा कि काबुल में ‘‘समावेशी सरकार’’ के गठन के बारे में तालिबान नेतृत्व और विभिन्न जातीय समूहों और राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श चल रहा है. टोलो न्यूज ने स्तानिकजई के हवाले से कहा है कि वर्तमान में, तालिबान नेतृत्व विभिन्न जातीय समूहों, राजनीतिक दलों और इस्लामिक अमीरात के भीतर एक सरकार बनाने के बारे में परामर्श कर रहा है जिसे अफगानिस्तान के अंदर और बाहर दोनों जगह स्वीकार किया जाए और मान्यता दी जाए.

भारत अभी ‘देखो और प्रतीक्षा करो’ की नीति पर कायम 
तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर नियंत्रण किये जाने के बाद, भारत अपने नागरिकों को वहां से निकालने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, यह पूछे जाने पर कि क्या भारत तालिबान शासन को मान्यता देगा, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने शुक्रवार को कहा, ‘‘जमीनी हालात अनिश्चित है. वर्तमान में प्रमुख चिंता लोगों की सुरक्षा है. वर्तमान में, काबुल में सरकार बनाने वाली किसी भी इकाई के बारे में स्पष्टता की कमी है या कोई स्पष्टता नहीं है.’’ विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने 
कहा कि भारत ने इसको लेकर अभी ‘देखो और प्रतीक्षा करो’ का रुख अपनाया हुआ है कि क्या अफगानिस्तान में नयी सरकार पूरी तरह से तालिबान की सरकार होगी या अन्य अफगान नेताओं के साथ सत्ता-साझाकरण व्यवस्था का हिस्सा होगी. 

भारत का अफगानिस्तान में 3 अरब अमरीकी डालर का निवेश
भारत अफगानिस्तान में एक प्रमुख हितधारक रहा है और उसने देश भर में लगभग 500 परियोजनाओं को पूरा करने में लगभग 3 अरब अमरीकी डालर का निवेश किया है. स्तानिकजई उन विदेशी कैडेटों के एक समूह का हिस्सा थे जिसने 1980 के दशक की शुरुआत में देहरादून में प्रतिष्ठित भारतीय सैन्य अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त किया था. स्तानिकजई ने बाद में अफगान सेना छोड़ दी थी.

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