सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों से ज्यादा सैलरी बढ़ोतरी की मांग कर रहे कर्मचारियों को और इंतजार करना होगा. दरअसल, देश के आर्थिक और राजनीतिक कारणों को देखते हुए ऐसा ही लग रहा है.
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नई दिल्ली: सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों से ज्यादा सैलरी बढ़ोतरी की मांग कर रहे कर्मचारियों को और इंतजार करना होगा. दरअसल, देश के आर्थिक और राजनीतिक कारणों को देखते हुए ऐसा ही लग रहा है. पहले भी केंद्रीय कर्मचारियों की उम्मीदों को कई बार झटका लगा है. हालांकि, ज्यादातर समय पर उनकी सैलरी बढ़ोतरी की खबरें सिर्फ मीडिया में रही हैं. मोदी सरकार ने किसी भी तारीख का ऐलान नहीं किया है.
सूत्रों की मानें तो इस मामले में फिलहाल मोदी सरकार कोई फैसला नहीं ले रही है. यह सरकार के एजेंडे में ही नहीं है. दरअसल, सरकार के सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं, जिसे देखते हुए कहा जा सकता है कि अभी केंद्रीय कर्मचारियों को और इंतजार करना पड़ेगा. आइये जानते हैं क्या हैं वो दो बड़ी वजह...
राजीनितिक कारण- जल्द हो सकते हैं चुनाव
केंद्रीय चुनाव आयोग ने हाल ही में इशारा किया है कि आम चुनाव जल्दी हो सकते हैं. इसी को देखते हुए मोदी सरकार के पास केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी को मांग मुताबिक बढ़ाने का कोई रास्ता नहीं है. हालांकि, दूसरी तरफ NDA सरकार सातवां वेतन आयोग लागू न करके आगामी चुनाव में केंद्रीय कर्मचारियों की नाराजगी को भी नहीं उठाना चाहेगी. आम चुनाव अगले साल मई-जून 2019 में होने हैं. लेकिन, अगर मोदी सरकार पहले कराती है तो दिसंबर या जनवरी में हो सकते हैं. साथ ही चर्चा यह भी है कि कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव के साथ ही लोकसभा चुनाव भी कराए जाएं. ऐसे में सरकार के पास इतना वक्त नहीं होगा कि फिटमेंट फैक्टर को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों से ज्यादा बढ़ाया जाए.
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आर्थिक कारण- रुपये में गिरावट
डॉलर के मुकाबले रुपये का स्तर लगातार नीचे गिर रहा है. रुपये ने बीते हफ्ते ही ऐतिहासिक 72 रुपए प्रति डॉलर का स्तर छुआ है. ऐसे में पूरे देश में यही सवाल है कि इसका असर क्या होगा? शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के अलावा तेल के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं. ऐसे में देश के आर्थिक हालात को मजबूत रखना कड़ी चुनौती है. मोदी सरकार के पास यह विकल्प नहीं है कि वह इन चुनौतियों को छोड़ केंद्रीय कर्मचारियों को खुश करने की कोशिश करे. अगर सरकार सही मायने में फिटमेंट फैक्टर को बढ़ाने पर विचार करती हैं तो उसे वित्तीय स्थितियों को गहराई से देखने होगा और यह आकलन करना होगा कि इसका अर्थव्यवस्था पर क्या असर रहेगा. इसके अलावा, सरकार चरणबद्ध तरीके से इसे लागू करके सरकारी खजाने पर पड़ने वाले दबाव को कम करने पर विचार कर सकती है.
क्या हैं सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्रीय कर्मचारियों भी वेतन में वृद्धि चरणबद्ध तरीके से कराना चाहेंगे. साथ ही, कम सैलरी वाले कर्मचारियों की सैलरी में इजाफा पहले होना चाहिए. सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक, न्यूनतम वेतन 18000 रुपए तय किया गया है. वहीं, केंद्रीय कर्मचारी इसे 8000 रुपए बढ़ाकर 26000 रुपए किए जाने की मांग कर रहे हैं. वहीं, फिटमेंट फैक्टर को भी 2.57 गुना से बढ़ाकर 3.68 गुना करने की मांग की जा रही है.