पिछले कई वर्षों में हाई प्रोफाइल अरबपति भारत छोड़कर विदेशों में जा बसे. चाहे वो विजय माल्या हों या ललित मोदी या फिर नीरव मोदी और मेहुल चोकसी इन सभी ने देश इसलिए छोड़ा क्योंकि ये कर्ज की अदायगी नहीं कर सके.
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पिछले कई वर्षों में हाई प्रोफाइल अरबपति भारत छोड़कर विदेशों में जा बसे. चाहे वो विजय माल्या हों या ललित मोदी या फिर नीरव मोदी और मेहुल चोकसी इन सभी ने देश इसलिए छोड़ा क्योंकि ये कर्ज की अदायगी नहीं कर सके. गिरफ्तार होने के डर से ये कभी वापस भी नहीं लौटे. पीएनबी के करीब 13000 करोड़ रुपए लेकर फरार हुए नीरव-मेहुल का नाम पिछले दिनों चर्चा में रहा. लेकिन, क्या सिर्फ इन्होंने ही देश छोड़ा. जवाब है नहीं, देश की दूसरी अरबपति हस्तियां भी देश छोड़कर विदेशों में जा बसे. अब सवाल उठता है कि आखिर ये अरबपति हस्तियां देश छोड़कर विदेशों में क्यों बस रहे हैं? दरअसल, उन्हें विदेश में बसने और निवेश के बेहतर विकल्प नजर आए.
23000 करोड़पतियों ने छोड़ा देश
मॉर्गन स्टैनली के रुचिर शर्मा के मुताबिक 2017 में करीब 7000 ऐसे करोड़पति हैं, जिनकी संपत्ति 10 लाख डॉलर (करीब 6.5 करोड़ रुपए) से ज्यादा है और वह भारत छोड़कर चले गए. 2014 से अब तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो 23,000 ऐसे करोड़पति हैं, जिन्होंने विदेशों में अपना बसेरा बना लिया.
क्यों है चिंता का कारण?
डीएनए के पूर्व एडिटर आर जगन्नाथन के समाचार पत्र में छपे एक लेख के मुताबिक, भारत छोड़कर गए करोड़पतियों की कुल नेटवर्थ का अगर आकलन किया जाए तो यह कम से कम 1.50 लाख करोड़ रुपए होनी चाहिए. लेकिन, अगर इनमें से कुछ ज्यादा अमीर थे तो इनकी कुल संपत्ति मुकेश अंबानी की नेटवर्थ से भी अधिक हो सकती है. हाल में फोर्ब्स ने देश के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी की नेटवर्थ 2.60 लाख करोड़ रुपए आंकी है. यह चिंताजनक रुझान है.
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धनी लोग विदेश में कर रहे निवेश
भगौड़ा घोषित हुए विजय माल्या से नीरव मोदी तक के देश छोड़ने पर हैरानी नहीं होनी चाहिए. हैरान और चिंता का विषय यह है कि जो करोड़पति, अरबपति हस्ती देश में निवेश कर सकते हैं, वे विदेशों में बिजनेस कर रहे हैं. अगर ये भारत में निवेश करें तो यहां बड़ी संख्या में नौकरियां पैदा हो सकती हैं. लेकिन, उनके विदेश में निवेश करने से नौकरियां भी बाहर जा रही हैं.
करोड़पति क्यों छोड़ रहे हैं देश?
बार-बार सवाल यह उठता है कि आखिर करोड़पति लोग देश क्यों छोड़ रहे हैं?
1. मोदी सरकार का कालेधन पर हमला इसका एक कारण हो सकता है.
2. दूसरा बड़ा कारण देश में कारोबार करना और रोजमर्रा की जिंदगी ज्यादा कठिन होना है.
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खरीदी जाती है नागरिकता
अमीरों के लिए कम भ्रष्टाचार और बेहतर कानून-व्यवस्था वाले विकसित देश में नागरिकता खरीदना आसान है. उदाहरण के तौर पर अमेरिका में ईबी-5 स्कीम के तहत आप कुछ राज्यों में पांच लाख डॉलर (करीब 3.25 करोड़ रुपए) निवेश कर सकते हैं तो आपको स्थायी वीजा मिल सकता है. हां, इसके लिए जरूरी है कि निवेश के साथ आप वहां 10 लोगों को फुल-टाइम नौकरी दें. बाद में उस शख्स को ग्रीन कार्ड और स्थायी नागरिकता भी मिल सकती है. ट्रंप प्रशासन इस निवेश सीमा को बढ़ाना चाहता है. यह करीब 6 करोड़ रुपए हो सकती है. फिर भी यह 10 लाख डॉलर (6.5 करोड़ रुपए) से कम है.
5 लाख में मिलेगी मॉरीशस की नागरिकता
अमेरिका को छोड़ अगर आप 5 लाख रुपए निवेश करें तो मॉरीशस जैसे छोटे देश में रहने की स्थायी अनुमति मिलती है. भारत के फॉरेन एक्सचेंज रेमिटेंस के रूल्स ऐसे हैं कि कोई भारतीय एक वित्त वर्ष में 2.5 लाख डॉलर (करीब 1.62 करोड़ रुपए) ही देश के बाहर भेज सकता है. परमानेंट वीजा के लिए जरूरी पांच लाख डॉलर वह दो साल में देश से बाहर भेज सकता है.
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नागरिकता हासिल करने का नया तरीका
बात सिर्फ कारोबारियों की नहीं है, बल्कि कोई भी जो विदेश में बसना चाहता है वह अपनी भारतीय संपत्ति बेचकर विदेश में रह सकता है. दरअसल, पिछले कुछ समय में ऐसा करके विदेश में रहने की अनुमति पाने का यह नया तरीका इजाद हुआ है.
कारोबारी माहौल में काफी पीछे है भारत
भले ही दुनिया की नजर में भारत निवेश के लिहाज से बेहतर हो, लेकिन अब भी यहां कारोबारी माहौल अमेरिका-यूरोप जितना आसान नहीं है. विकसित देशों में रहन-सहन के अलावा कारोबारी माहौल अच्छा है. साथ ही भ्रष्टाचार और घूसखोरी बहुत कम है. छोटे कारोबारी और ऐसे अमीर जो देश में ऐसी समस्याओं से जूझना नहीं चाहते, वो भारतीय संपत्ति बेचकर विदेश में रहने को तरजीह देते हैं.