एशिया की प्याज की सबसे बड़ी मंडी नासिक के लासलगांव में भी प्याज थोकभाव में 40-45 रुपये प्रति किग्रा के हिसाब से बेची जा रही है.
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मुंबई: अंडे की कीमतों में हालिया बढ़ोतरी के बाद अब प्याज के महंगे होने की बारी है. महाराष्ट्र के थोक बाजार में गुरुवार को 45-50 रुपये/किलो के हिसाब से इसको बेचा गया, जबकि पिछले हफ्ते इसका दाम 20-30 रुपये/किलो था. DNA ने वासी स्थित कृषि उत्पाद मार्केट कमेटी (एपीएमसी) के हवाले से लिखा है कि प्याज की कमी की वजह से आने वाले दिनों में इसके दामों में और भी बढ़ोतरी हो सकती है. एपीएमसी के पूर्व निदेशक और व्यवसायी अशोक वालुंजे ने DNA को बताया, ''पिछले कुछ दिनों में बेमौसम की बारिश के चलते प्याज की फसल को भारी नुकसान हुआ. आम तौर पर हम लोगों को एक दिन में 125-150 ट्रक लोड की सप्लाई होती है लेकिन गुरुवार को केवल 80 ट्रक ही आए.''
एशिया की प्याज की सबसे बड़ी मंडी नासिक के लासलगांव में भी प्याज थोकभाव में 40-45 रुपये प्रति किग्रा के हिसाब से बेची जा रही है. वालुंजे ने यह भी कहा, ''इस साल वैसे ही बारिश देर से हुई लिहाजा प्याज की खेती में देरी हुई. अगले कुछ दिनों में प्याज के दामों में और भी बढ़ोतरी हो सकती है और 100 रुपये प्रति किलो तक जा सकती है.''
निर्यात मूल्य 850 डालर प्रति टन तय
इस बीच सरकार ने 22 नवंबर को प्याज का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) 850 डॉलर प्रति टन तय कर दिया. सरकार के इस कदम से घरेलू बाजार में प्याज की आपूर्ति बढ़ाने और इसके बढ़ते दाम पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी. प्याज का निर्यात अब 850 डॉलर प्रति टन से कम दाम पर नहीं किया जा सकेगा. सरकार ने इससे पहले दिसंबर 2015 में प्याज का एमईपी खत्म कर दिया गया था.
इस संबंध में विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में कहा, ''प्याज का निर्यात...31 दिसंबर 2017 तक केवल साख पत्र (एलसी) के जरिये 850 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) पर किया जा सकता है.'' इसमें कहा गया है कि प्याज की सभी किस्म के निर्यात की अनुमति साख पत्र पर ही दी जायेगी. प्याज की बढ़ती कीमतों को लेकर चिंतित उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने अगस्त में वाणिज्य मंत्रालय से इसके निर्यात पर न्यूनतम निर्यात मूल्य रखने की मांग की थी. उन्होंने प्याज निर्यात पर दी जाने वाली दूसरी सहायताओं को भी समाप्त करने को कहा था.
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खुदरा दाम बढ़े
उल्लेखनीय है कि देश के अधिकांश शहरों में प्याज की खुदरा कीमत 50-65 रुपये किलो तक पहुंच गई है. घरेलू आपूर्ति कम होने के कारण इसकी कीमतें दबाव में आ गईं हैं. सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम एमएमटीसी को 2,000 टन प्याज का आयात करने को कहा है जबकि नाफेड और एसएफएसी जैसी अन्य एजेंसियों को स्थानीय स्तर पर इसकी खरीद कर उपभोक्ता इलाकों में वितरण करने को कहा गया.
आपूर्ति में गिरावट
चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में देश से बड़ी मात्रा में प्याज का निर्यात होने से घरेलू बाजार में इसकी आपूर्ति घट गई थी. भारत ने इस साल अप्रैल-जुलाई की अवधि में 12 लाख टन प्याज का निर्यात किया जो पूर्व वर्ष के मुकाबले 56 प्रतिशत अधिक रहा. इसके अलावा वर्ष 2017-18 की प्याज की नई खरीफ फसल के भी कम रहने की उम्मीद है जिसे अभी खेत से निकाला जा रहा है. बुवाई का रकबा कम रहने के कारण इसकी उपलब्धता कम आंकी जा रही है.
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हाल में उपभोक्ता मामले विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि खरीफ में प्याज की फसल 10 प्रतिशत कम रहने की संभावना है क्योंकि इसके बुवाई के रकबे में 30 प्रतिशत की कमी रही. देश में प्याज उत्पादन का करीब 40 प्रतिशत उत्पादन खरीफ सत्र में होता है और शेष प्याज उत्पादन रबी सत्र में होता है. हालांकि, खरीफ प्याज फसल का भंडारण नहीं किया जा सकता है. प्याज के प्रमुख उत्पादक राज्यों में महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, बिहार और गुजरात शामिल हैं.
(इनपुट: भाषा से भी)