प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कह चुके हैं कि इस बार का बजट सभी को खुश करने वाला नहीं होगा. यानी सरकार जानती है कि इस बजट से समाज का एक बड़ा वर्ग नाराज हो सकता है और जनता की नाराजगी का सीधा असर सरकार के वोट बैंक पर पड़ेगा.
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नई दिल्ली: केंद्रीय आम बजट का काउंटडाउन शुरू हो चुका है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कह चुके हैं कि इस बार का बजट सभी को खुश करने वाला नहीं होगा. यानी सरकार जानती है कि इस बजट से समाज का एक बड़ा वर्ग नाराज हो सकता है और जनता की नाराजगी का सीधा असर सरकार के वोट बैंक पर पड़ेगा. लेकिन सरकार ने इसका समाधान खोज लिया है. केंद्र सरकार पीएफ की दरों में कोई बदलाव ना करके बजट की नाराजगी पर मरहम लगाने की तैयारी कर चुकी है. जानकारी के मुताबिक, सरकार भविष्य निधि जमा राशियों पर ब्याज दर पिछले वित्त वर्ष की 8.65 फीसदी को कायम रखने के लिए प्लान बना रही है.
घट रही है सिक्योरिटीज पर रिटर्न
अंग्रेजी अखबार Indian Express में छपी एक खबर के मुताबिक, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने ईपीएफ पर ब्याज दरें तय करने की कवायद शुरू कर दी है. सूत्र बताते हैं कि सरकार का दबाव है कि ब्याज दरों में कोई बदलाव ना किया जाए. ईपीएफ पर ब्याज दरें पीएफ फंड के निवेश से मिलने वाले रिटर्न के आधार पर तय होती हैं. पिछले कुछ सालों के दौरान सरकारी सिक्योरिटीज पर रिटर्न लगातार घट रहा है. सरकार 2015 में खरीदे गए ईपीएफओ के कुछ शेयरों को भी बेचने की योजना बना रही है ताकि ब्याज दर को 8.65 फीसदी पर स्थिर रखा जा सके.
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सरकार बेचेगी शेयर
सूत्र बताते हैं कि ईपीएफओ अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए करीब 2000 करोड़ रुपए के शेयर बेचने की तैयारी कर रहा है. इससे 850 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आमदनी होगी और यही इनकम पीएफ रेट तय करने में मदद करेगी. ईपीएफओ सेंट्रल बोर्ड के न्यासी पीएफ रेट और शेयर की बिक्री की रूपरेखा को अंतिम रूप देने के लिए अगले महीने बैठक करेंगे. जानकार बताते हैं कि ट्रस्टियों ने फंड मैनेजर्स से अपने कमीशन में कटौती करने का आग्रह किया है ताकि वे अपने ग्राहकों तक अधिकतम लाभ पहुंचा सकें.
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हालांकि आमदनी का सही आकलन तो उस दिन के शेयर मूल्यों से ही हो पाएगा, जिस दिन शेयरों को बेचा जाएगा. सूत्र बताते हैं कि ये सारी कवायदें पीएफ की दरों को यथावत बनाए रखने के लिए की जा रही हैं. वर्ष 2016-17 के पीएफ की दरें 8.65 थी. वर्ष 2015-16 में यही दरें 8.8 और उससे पहले 2013-14 तथा 2014-15 के लिए ये दरें 8.75 फीसदी थीं. ईपीएफओ इक्विटी में एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स के माध्यम से निवेश करता है जिसमें कई शेयर शामिल होते हैं जो निफ्टी या सेंसेक्स जैसी सूचकांक की संरचना को दर्शाते हैं. ईपीएफओ ने एसबीआई म्यूचुअल फंड, यूटीआई म्युचुअल फंड और रिलायंस म्युचुअल फंड के केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के ईटीएफ में निवेश किया है.
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PMO ने शुरू की पहल
सूत्र बताते हैं कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने पहले श्रम मंत्रालय को वित्त वर्ष 2017-18 की ब्याज दर को 8.5 प्रतिशत तक कम करने के पेशेवरों और विपक्षों की जांच करने के लिए कहा था, क्योंकि इस बचत योजना के लगभग 6 करोड़ सदस्य हैं. विशेष जमा योजनाओं में ब्याज दरों में गिरावट और कंपनियों द्वारा जारी एएए-प्लस बांड और इस वित्त वर्ष में ईपीएफओ की ब्याज आय में कमी आई है. वित्त मंत्रालय यह भी चाहता है कि पीएफ दर अन्य छोटी बचत योजनाओं जैसे कि पीपीएफ सरकार के साथ जुड़ी हों. ईपीएफओ को सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के फैसले के बाद शेयरों को बेचने की इजाजत है.