हाईकोर्ट जस्टिस संदीप मेहता ने सुनवाई करते हुए कहा कि फिल्म की स्क्रीनिंग न्यायिक अकादमी में करेंगे या किसी सिनेमा हॉल में उसका जवाब दें. इससे पहले आज पुलिस कमिश्नरेट की ओर से सुरक्षा के लिए जवाब पेश करते हुए कहा किया सुरक्षा के सभी बंदोबस्त किये जायेगे.
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नई दिल्ली: निर्देशक संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावत' के लिए इस बार राजस्थान से अच्छी खबर आ रही है. राजस्थान हाईकोर्ट में विवादित फिल्म 'पदमावत' के निर्माता निर्देशक की ओर से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए 5 फरवरी को फिल्म की स्क्रीनिंग कोर्ट के समक्ष करने के निर्देश दिये है. हाईकोर्ट जस्टिस संदीप मेहता ने सुनवाई करते हुए कहा कि फिल्म की स्क्रीनिंग न्यायिक अकादमी में करेंगे या किसी सिनेमा हॉल में उसका जवाब दें. इससे पहले आज पुलिस कमिश्नरेट की ओर से सुरक्षा के लिए जवाब पेश करते हुए कहा किया सुरक्षा के सभी बंदोबस्त किये जायेगे. सरकार की ओर से एएजी शिवकुमार व्यास व उनके सहयोगी जेपी भारद्वाज ने जवाब पेश किया वही डीसीपी अमनदीप सिंह भी कोर्ट में मौजूद रहे.
राजपूतों ने किया था राजस्थान में विरोध
इस फिल्म का राजस्थान के राजपूतों ने जमकर विरोध किया है. इसी विरोध और हिंसक प्रदर्शनों के बाद इस फिल्म को राजस्थान में रिलीज नहीं किया गया है. बता दें कि विवादित फिल्म 'पद्मावत' के निर्माता निदेशक संजय लीला भंसाली, एक्टर रणवीर सिंह और एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण के खिलाफ नागौर जिले के डीडवाणा थाने में दर्ज एफआईआर को रद्द करवाने को लेकर याचिका पेश की गई थी. याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रवि भंसाली व मुंबई से आये अधिवक्ता राजेश कुमार ने जवाब दिया.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवेहलना
जब कोर्ट ने 5 फरवरी को स्क्रीनिंग करने के लिए कहा तो समय देने की गुहार की लेकिन कोर्ट ने कहा कि जब हम कह रहे है तो आप स्क्रीनिंग करे जिसके बाद इस याचिका का निस्तारण किया जा सके. हालांकि मुकदमा दर्ज करने वाले विरेन्द्रसिंह की ओर से खड़े अधिवक्ता को भी कहा गया कि बिना फिल्म देखे ही आपने मुकदमा दर्ज करवा दिया. आप यदि इसमे में अब विरोध करते है तो इसका मतलब आप सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रहे है.
गौरतलब है कि फिल्म निर्माता व निर्देशक संजय लीला भंसाली, फिल्म अभिनेता रणवीर सिंह व दीपिका पादूकोण पर नागौर के डीडवाणा के थाने में एक एफआईआर आईपीसी की धारा 153 ए व 295 ए में विरेन्द्रसिंह व नागपालसिंह ने एफआईआर दर्ज करवाई थी. इस एफआईआर को रद्द करवाने के लिए राजस्थान उच्च न्यायालय में 482 की एक याचिका पेश की.