फिल्म का राजस्थान के राजपूतों ने जमकर विरोध किया है. इसी विरोध और हिंसक प्रदर्शनों के बाद इस फिल्म को राजस्थान में रिलीज नहीं किया गया है.
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नई दिल्ली: दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह और शाहिद कपूर की फिल्म 'पद्मावत' के लिए आज राजस्थान से अच्छी खबर आ सकती है. जोधपुर में हाईकोर्ट आज इस फिल्म पर सुनवाई करने वाला है. हाल ही में हाईकोर्ट ने विवादित फिल्म 'पदमावत' के निर्माता निर्देशक की ओर से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए 5 फरवरी को फिल्म की स्क्रीनिंग का आदेश दिया था. सोमवार को हाईकोर्ट के लिए इस फिल्म की स्क्रीनिंग हो चुकी है और आज कोर्ट इस मामले में अपना फैसला देने जा रही है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी राजस्थान में राजपूतों के उग्र विरोध के चलते इस राज्य के सिनेमाघरों में फिल्म रिलीज नहीं हुई थी.
राजस्थान के अलावा यह फिल्म गुजरात और मध्यप्रदेश में भी रिलीज नहीं की गई है. ऐसे में इस फिल्म को देश के तीन बड़े हिंदी राज्यों में रिलीज से वंचित रहना पड़ा है.
राजपूतों ने किया था राजस्थान में विरोध
बता दें कि इस फिल्म का राजस्थान के राजपूतों ने जमकर विरोध किया है. इसी विरोध और हिंसक प्रदर्शनों के बाद इस फिल्म को राजस्थान में रिलीज नहीं किया गया है. विवादित फिल्म 'पद्मावत' के निर्माता निदेशक संजय लीला भंसाली, एक्टर रणवीर सिंह और एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण के खिलाफ नागौर जिले के डीडवाणा थाने में दर्ज एफआईआर को रद्द करवाने को लेकर याचिका पेश की गई थी. याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रवि भंसाली व मुंबई से आये अधिवक्ता राजेश कुमार ने जवाब दिया.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवेहलना
जब कोर्ट ने 5 फरवरी को स्क्रीनिंग करने के लिए कहा तो समय देने की गुहार की लेकिन कोर्ट ने कहा कि जब हम कह रहे है तो आप स्क्रीनिंग करे जिसके बाद इस याचिका का निस्तारण किया जा सके. हालांकि मुकदमा दर्ज करने वाले विरेन्द्रसिंह की ओर से खड़े अधिवक्ता को भी कहा गया कि बिना फिल्म देखे ही आपने मुकदमा दर्ज करवा दिया. आप यदि इसमे में अब विरोध करते है तो इसका मतलब आप सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रहे है.
गौरतलब है कि फिल्म निर्माता व निर्देशक संजय लीला भंसाली, फिल्म अभिनेता रणवीर सिंह व दीपिका पादूकोण पर नागौर के डीडवाणा के थाने में एक एफआईआर आईपीसी की धारा 153 ए व 295 ए में विरेन्द्रसिंह व नागपालसिंह ने एफआईआर दर्ज करवाई थी. इस एफआईआर को रद्द करवाने के लिए राजस्थान उच्च न्यायालय में 482 की एक याचिका पेश की.