'मुझे नफरत है, ईश्‍वर से जिसने तुमको छीना, और श्रीदेवी से भी, क्‍योंकि...'
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'मुझे नफरत है, ईश्‍वर से जिसने तुमको छीना, और श्रीदेवी से भी, क्‍योंकि...'

मैं उनसे नफरत करता हूं क्‍योंकि आखिर में उन्‍होंने मुझे एहसास करा दिया कि वह भी मेरी तरह सिर्फ एक इंसान ही थीं. मुझे नफरत है कि जिंदा रहने के लिए उनके दिल को भी धड़कना पड़ता है.

राम गोपाल वर्मा ने श्रीदेवी के निधन के बाद यह भावनात्‍मक लेटर लिखा है. (फोटो साभार @RGVzoomin/Twitter)

नई दिल्‍ली: श्रीदेवी के अचानक दुनिया छोड़कर जाने से उनके लाखों फैन्‍स और पूरा बॉलीवुड सदमे में हैं. फिल्‍ममेकर राम गोपाल वर्मा ने एक ऐसा पत्र लिखा है, जिसे पढ़कर किसी की भी आंखे नम हो जाएंगी. महज 54 साल की उम्र में कार्डिएक अरेस्‍ट की वजह से दुनिया छोड़कर जाने वाली श्रीदेवी के निधन की खबर पर शुरुआत में किसी को भी भरोसा नहीं हुआ. हर कोई यही उम्‍मीद कर रहा था कि यह जरूर सोशल मीडिया पर आए दिन फैलने वाली एक अफवाह है, बस. ऐसा ही कुछ राम गोपाल वर्मा को भी लगा.

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"मेरी यह पुरानी आदत है कि मैं रात में कई बार सपने देखते हुए जाग जाता हूं और इस बीच अपना मोबाइल भी चेक करता रहता हूं. इसी दौरान रात को मैंने एक मैसेज पढ़ा कि श्रीदेवी अब हमारे बीच नहीं रहीं. मुझे लगा यह कोई बुरा सपना है या किसी ने कोई अफवाह उड़ाई है. यह सोच कर मैं फिर सो गया. लगभग एक घंटे के बाद फिर जब मैं जागा तो ऐसे पच्चासों मैसेज थे जिसमें यह बताया गया कि श्री देवी अब हमारे बीच नहीं हैं और उनका निधन हो गया है.

मुझे याद आता है जब मैं विजयवाड़ा में इंजीनियरिंग कॉलेज में था. तब मैंने पहली बार उनकी तेलुगु फिल्‍म देखी थी- 'Padaharella Vayasu'. मैं उनकी खूबसूरती देख कर दंग रह गया. जब मैं थियेटर से निकला तो ऐसा लगा जैसे वो सच में नहीं हैं, बल्कि किसी कल्‍पना ने मानव शरीर का रूप ले लिया है. उसके बाद मैंने उनकी कई फिल्‍में देखीं. उनकी खूबसूरती और टैलेंट का मुझपर काफी गहरा असर पड़ा. वह ईश्वर की एक ऐसी अनमोल रचना थीं जिसे उन्होंने एक स्पेशल मूड में बनाया था और वो मनुष्यता के लिए ईश्वर का एक विशेष उपहार बन कर आई थीं.

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श्रीदेवी के साथ मेरी यात्रा तब शुरू हुई जब मैं अपनी पहली फिल्‍म 'शिवा' की तैयारी कर रहा था. मैं तब नागार्जुन के चेन्नई वाले दफ्तर के बगल वाली गली में जाता था, जहां उन दिनों श्रीदेवी रहती थीं. गेट के बाहर से ही उनके घर को घंटों देखा करता. मुझे यह बिल्कुल भी विश्वास नहीं होता कि सौंदर्य की यह देवी इस बेकार से घर में रहती हैं. मैं इस घर को बेकार इसलिए कह रहा हूं क्योंकि मेरा मानना था कि ऐसा कोई भी मानव निर्मित मकान हो ही नहीं सकता जो श्रीदेवी के रहने लायक बनाया जा सके. उनके घर के बाहर खड़ा मैं उनकी एक झलक देखने के लिए आतुर रहता पर वो कभी नजर नहीं आईं. जब मेरी फिल्‍म 'शिवा' रिलीज हुई और एक बड़ी हिट साबित हुई. तब एक फिल्‍म निर्माता मेरे पास आये और पूछा, 'क्या मैं श्रीदेवी के साथ एक फिल्‍म बनाना चाहूंगा? मैंने कहा आप पागल हैं क्या? मैं उनकी एक झलक देखने के लिए अपनी जान तक दे सकता हूं. हां, हम फिल्‍म बनाते हैं.'

 

'मैं 'Kshana Kshanam' यही सोचकर लिख रहा था कि मुझे इस कहानी से श्रीदेवी को इम्प्रेस करना है. 'Kshana Kshanam'  दरअसल श्रीदेवी के नाम मेरे प्रेम पत्र की तरह था. 'Kshana Kshanam' बनाने के दौरान मैं अपनी नजरें उनकी खूबसूरती, व्यक्तित्व और करिश्मे से हटा नहीं पाता था. मैंने श्रीदेवी का एक नया रूप देखा. उनके आस-पास एक अदृश्य दीवार हमेशा रहती जिसके पार जाने की इजाजत वो किसी को नहीं देतीं. वो अपने आत्म-सम्मान और मर्यादा के घेरे में किसी को प्रवेश करने नहीं देतीं. उनके साथ काम करते हुए और उनके अभिनय की तकनीक को गौर से देखते हुए एक डायरेक्टर के रूप में भी मैंने बहुत कुछ सीखा.

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किरदार और अभिनय की बारीकियां मैंने उनसे सीखीं. मेरे लिए वो सिनेमाई अभिनय की एक मिसाल हैं! उनका स्टारडम और लोकप्रियता ऐसा कि विश्वास करना मुश्किल है. जब हम नंदयाल में Kshana Kshanam की शूटिंग कर रहे थे तो पूरा शहर उनको देखने के लिए जमा हो गया था. बैंक, सरकारी संस्थान, स्कूल, कॉलेज सब बंद थे और पूरा शहर उनको देखने के लिए आ गया था. उस दौरान वो नंदयाल में जिस बंगले में रह रहीं थीं, मैं उनके बंगले के पास ही दूसरे बंगले में रह रहा था. बीस हजार से भी ज्यादा लोग उनके बंगले के बाहर उनकी एक झलक पाने के इंतज़ार में खड़े रहते.

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'ऐसा सुपरस्टार मैंने नहीं देखा और अब वो हमारे बीच नहीं हैं ! श्रीदेवी ईश्वर की एक ऐसी अमूल्य कृति थीं जो वो हजारों साल में एक बार ही बनाते हैं. अब जबकि वो हमारे बीच नहीं हैं हम निर्देशकों के लिए यह एक उपलब्धि है कि हमने उन्हें कैमरे में कैद किया है और हमारी सिनेमा की यह एंजेल अब एक डिवाइन एंजेल बन गयी हैं. मैं ईश्वर का धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने श्रीदेवी की रचना की और मैं लुईस लुईमेर का भी आभारी हूं जिन्होंने मूवी कैमरे की खोज की थी और हमें मौका दिया कि हम श्रीदेवी को अपनी फिल्‍मों में हमेशा के लिए संजो कर रख सकें.. मैं अभी तक विश्‍वास नहीं कर पा रहा हूं कि वह नहीं रहीं.

मैं अभी तक उम्‍मीद कर रहा हूं कि यह सब बस एक बुरा सपना हो, लेकिन मैं जानता हूं यह नहीं है
मैं श्रीदेवी से नफरत करता हूं.
मैं उनसे नफरत करता हूं क्‍योंकि आखिर में उन्‍होंने मुझे एहसास करा दिया कि वह भी मेरी तरह सिर्फ एक इंसान ही थीं.
मुझे नफरत है कि जिंदा रहने के लिए उनके दिल को भी धड़कना पड़ता है.
मुझे नफरत है कि उनके पास भी एक दिल था, जो सामान्‍य इंसान की तरह बंद हो सकता था
मुझे नफरत है कि मैं उनके मरने की खबर का वह संदेश देख पाने के लिए जिंदा हूं.
मुझे ईश्‍वर से नफरत है, जिन्‍होंने उन्‍हें छीन लिया.
और मुझे नफरत है श्रीदेवी से जो चल गईं.
मुझे आपसे प्‍यार है श्रीदेवी, आप जहां भी हैं.. मैं आपको हमेशा प्‍यार करुंगा.'

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