श्रीदेवी पहली फीमेल सुपरस्टार के रूप में इसी दशक में बॉक्स ऑफिस पर काबिज हुई थीं, सो ज्यादातर उनको ही कंपटीशन देने की कोशिशें हुईं.
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1980 के दशक की आहट के साथ ही सिल्वर स्क्रीन पर कई नई एक्ट्रेस ने अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी थी. बदलते मिजाज और बदलते सिनेमा के इस दौर में कई खूबसूरत एक्ट्रेस ने अपने-अपने अंदाज में सिल्वर स्क्रीन पर अपने जलवे को बिखेरा. लिहाजा इनमें कंपटीशन भी देखने को मिला. चूंकि श्रीदेवी पहली फीमेल सुपरस्टार के रूप में इसी दशक में बॉक्स ऑफिस पर काबिज हुई थीं, सो ज्यादातर उनको ही कंपटीशन देने की कोशिशें हुईं. उस दौर में शोख अंदाज और चंचल आंखों वाली श्रीदेवी का बॉक्स ऑफिस पर दबदबा कुछ ऐसा था कि कहते हैं कि सिर्फ और सिर्फ उनको देखने लोग सिनेमाघरों में जाते थे. इसीलिए उनको देश की पहली महिला सुपरस्टार कहा गया.
जया प्रदा
आंध्र प्रदेश के मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखने वाली जया प्रदा ने तेलुगु फिल्मों से करियर शुरू किया. 1976 में क्लासिक तेलुगु फिल्म 'सीरी सीरी मुवा' की कामयाबी ने हिंदी फिल्मों के दरवाजे उनके लिए खोल दिए. इसकी रीमेक 1979 में 'सरगम' के नाम से रिलीज हुई और जबर्दस्त हिट हुई. इसके चलते वह रातोरात बॉलीवुड स्टार बन गईं. उसके बाद 1984 में 'शराबी' और 1985 में 'संजोग' के बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड प्रदर्शन से उस दशक में जया प्रदा ने अपनी छाप छोड़ी.
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माधुरी दीक्षित
उस दशक में सबसे जबर्दस्त प्रोफेशनल कंपटीशन श्रीदेवी(1963-2018) और माधुरी दीक्षित के बीच देखने को मिला. 1986 में 'अबोध' से करियर शुरू करने वाली माधुरी दीक्षित ने श्रीदेवी के स्टारडम को टक्कर दी. सही अर्थों में श्रीदेवी के बाद माधुरी दीक्षित ही काफी हद तक श्रीदेवी जैसे स्टारडम को हासिल कर सकीं. इसीलिए 2000 में एक्ट्रेस ऑफ द मिलेनियम के खिताब से नवाजी गईं. गिनीज बुक के मुताबिक वह देश में सर्वाधिक पैसा पाने वाली एक्ट्रेस हैं. बीबीसी के एक पोल में उनको अब तक की देश की बेस्ट एक्ट्रेस का खिताब मिला. माधुरी की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि रामगोपाल वर्मा ने उनको समर्पित करते हुए एक फिल्म 'मैं माधुरी दीक्षित बनना चाहती हूं' बनाई.
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रति अग्निहोत्री
1981 में आई फिल्म 'एक दूजे के लिए' ने रति अग्निहोत्री के रूप में फिल्म इंडस्ट्री को नया चेहरा दिया. उसके बाद शौकीन(1982), फर्ज और कानून(1982), कुली(1983) और तवायफ(1985) ने उनके स्टारडम को नया मुकाम दिया और वह उस दौर की सबसे सफल एक्ट्रेस की जमात में शामिल हुईं.
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मीनाक्षी शेषाद्रि
1983 में 'हीरो' की सफलता ने मीनाक्षी शेषाद्रि को रातोंरात स्टार बना दिया. उसी साल उनकी पहली फिल्म पेंटर बाबू भी रिलीज हुई थी. उससे पहले 1981 में 17 साल की उम्र में वह मिस इंडिया बनीं. 1980 के दशक के अंत तक शहंशाह, घायल, जुर्म जैसी फिल्मों से उन्होंने अपनी अलग छाप छोड़ी. 1993 में आई उनकी फिल्म 'दामिनी' में उनके दमदार अभिनय की यादें अभी भी लोगों के जेहन में हैं.
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डिंपल कपाडि़या
1973 में जब 'बॉबी' आई तो उस वक्त डिंपल कपाडि़या महज 16 साल की थीं. उसके बाद राजेश खन्ना से शादी करने के कारण लगभग एक दशक तक पर्दे से दूर रहीं. उसके बाद 1980 के दशक में 'जख्मी शेर' फिल्म से पर्दे पर वापस आईं. 'सागर', 'इंसाफ', 'जख्मी औरत', 'राम लखन' और 'बंटवारा' उस दौर की उनकी चर्चित फिल्में हैं.